Devotion confirms success.जिसमें सच्ची लगन और अटूट जज्बा हो, उसके लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं। मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिए। कुछ ऐसा ही करके दिखाया है बिहार में बक्सर के सरेंजा गांव के एक युवक ने। युवक का नाम है नंदन चौबे। नंदन ने 10 दिनों के प्रयास में हिमालय के कालानाग शिखर पर सफलतापूर्वक पहुंच कर तिरंगा लहराने का रिकॉर्ड बनाया है। इसकी चर्चा गांव में खूब हो रही है। बता दें कि कालानाग हिमालय पर्वत श्रृंखला में शामिल एक चोटी है, जो उत्तराखंड में स्थित है। इसकी चढ़ाई नंदन ने अपने चार अन्य मित्रों के साथ शुरू की और अंततः सफलता प्राप्त की। नंदन बताते हैं कि अब वह माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं और जल्दी इसकी तैयारियां शुरू कर देंगे।
चार भाई-बहनों में सबसे छोटे
बता दे कि पर्वतारोही नंदन चौबे सरेंजा निवासी सिंचाई विभाग में कार्यरत अमरनाथ चौबे के पुत्र है। नंदन चार भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं । उन्होंने 6,387 मीटर ऊंची चोटी पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की और भारतीय ध्वज फहरा दिया। उन्होंने अपने अनुभव के बारे में बताया कि उनकी लड़ाई काफी कठिन रही, लेकिन उन्हें उम्मीद थी कि वह इसे अवश्य पूरा कर लेंगे। इसी उम्मीद पर वह आगे बढ़ते गए और अंततः उन्होंने चढ़ाई पूरी की।
1955 में पहली बार गिब्सन और दून स्कूल के छात्रों ने पाई थी सफलता
जनकारी के अनुसार, कालानाग या काली चोटी, सरस्वती (बंदरपंच) पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊंची चोटी है। इसके आसपास के क्षेत्र सरस्वती देवी पर्वत (6316 मीटर) और हनुमान पर्वत (6102 मीटर) हैं। कालानाग या काली चोटी पर्वत का शाब्दिक अर्थ ब्लैक कोबरा है। यह रूइनसारा घाटी के करीब है। इस चोटी पर पहली बार 1955 में जैक गिब्सन और दून स्कूल, देहरादून के छात्रों ने फतह पाई थी।