Today 14 th. February is Valentine’s day. आज यानी 14 फरवरी को पूरी दुनिया वैलेंटाइन डे मनाती है। यह प्यार का दिवस है। पहले खुद से प्यार करें, फिर औरों से। जो खुद से प्यार नहीं करता, वह किसी और से भी नहीं कर सकता। प्यार में न जाति का बंधन न, न धर्म का बंधन, न भाषा का बंधन, न देशों की सीमाओं का बंधन। वास्तव में प्यार इसी का नाम है। एक दिल से दूसरे दिल को जोड़ना और दिलों को दिलों से जोड़ना, यही प्यार है। प्यार यानी नफरत की शून्यता, द्वेष का विलोप, करुणा का उदय। मानवता का सम्मान। यह दो युवा दिलों के मिलन का और एक दूसरे के प्रति प्यार और लगाव की अनुभूतियों के इजहार का दिन है, तो इसके साथ ही सारे मानवीय संबंधों के बीच मधुरता और संबंधों के निर्वाह के दायित्व के संदेश का। इसलिए गुलाबों की खुशबू के समान प्यार को बिखेरें और सब आपस में एक दूसरे से प्यार करें। यही आज की सबसे बड़ी जरूरत है और दिलों को दिलों से जोड़ने का शुभ दिन भी। लव जिहाद की कटुता से ऊपर उठिए और प्यार को बंधन मुक्त होकर गले लगाइए। भारतीय समाज में पति-पत्नी, मां-बेटी, सास-बहू, मां-बेटा, पिता-पुत्र और अन्य सभी रिश्तों के बीच मधुर संबंध ही वैलेंटाइन डे को व्यापक बनाता है।
प्यार के इजहार में नकल न करें
बेशक आज के दिन कपल्स अपने पार्टनर के साथ वैलेंटाइन डे सेलिब्रेट करते हैं। यह दिन प्यार करने वालों के लिए बहुत ही खास होता है। इस दिन प्यार करने वाले एक दूसरे को अपने दिल की बात कहते हैं और फीलिंग्स शेयर करते हैं। कपल्स अपने पार्टनर को यह जताते हैं कि उनका प्यार आखिर क्यों अपने पार्टनर के लिए खास है। इस दिन को लोग अलग-अलग तरीकों से सेलिब्रेट करते हैं। इस दिन आप अपने पार्टनर को खास संदेशों के जरिए वैलेंटाइन डे की बधाई दें। किसी की नकल न करें।
फूल तुम्हें भेजा है खत में
अब चिट्ठियों और खतों में प्यार के इजहार और इंतजार का जमाना नहीं रहा फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, टि्वटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर खुलकर प्यार के इजहार का अवसर उपलब्ध है। अपने दिल की बात अपने पार्टनर से, अपने दोस्त से कहें और वैलेंटाइन डे को खुशी के साथ मनाएं। इसके साथ ही इस संदर्भ में याद कीजिए, फूल तुम्हें भेजा है खत में, फूल नहीं मेरा दिल है। प्रियतम मेरे मुझको लिखना, क्या ये तुम्हारे काबिल है। इसके साथ ही यह भी याद कीजिए- चिट्ठी आई है,आई है चिट्ठी आई है, वतन से चिट्ठी आई है, बड़े दिनों के बाद हम बेवतनों को याद, वतन से चिट्ठी आई है। वतन की मिट्टी लाई है। वतन से चिट्ठी आई है। प्यार की गहराई में डूबना है तो संत कवि कबीर को याद कीजिए- ‘पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ पंडित भया न कोय, ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय।
- डॉ. रामकिशोर सिंह
संपादक, समाचार सम्राट डॉट कॉम