पहली हंसी
संता अपनी गर्लफ्रेंड पम्मी को नए नंबर से फोन लगाता है।
संता- हैलो जान कैसी हो, “I Miss you so much”
लड़की- तू चिंटू बोल रहा है न?
संता- अरे वाह, मेरी आवाज़ से ही पहचान लिया।
लड़की-तेरे पापा का नाम हीरालाल ही है न।
संता- चौंककर हां, बिलकुल सही।
लड़की- और तेरे दादा का नाम बनवारीलाल है।
पप्पू- अरे लगता है तू मेरी दीवानी हो गई है, मेरी पूरी डिटेल रखने लगी है तू।
लड़की- अबे गधे मैं तेरी मां बोल रही हूं,
संता- मजाक क्यों कर रही हो पम्मी
उधर से आवाज आती है अरे बेवकूफ तूने पम्मी की जगह गलती से मम्मी का नंबर लगा दिया है। तू घर आ फिर बताती हुं तुझे…।
दूसरी हंसी
पिता- तू फेल कैसे हो गया?
बेटा- पेपर में सवाल ही ऐसे-ऐसे आए थे, जो मुझे पता नहीं थे।
पिता- फिर तुने उत्तर कैसे लिखे ?
बेटा- मैंने भी उत्तर ऐसे-ऐसे लिखे, जो मास्टर को भी पता नहीं थे।
तीसरी हंसी
एक खूबसूरत लड़की ऑटो वाले से बोली- भैया एयरपोर्ट के कितने पैसे लगेंगे।
ऑटो ड्राइवर- 400 रुपये।
लड़की- ये तो रहा एयरपोर्ट।
ऑटो ड्राइवर- सर पर दुपट्टा रख लो, मैडम।
फ्लाइट लैंडिग में कहीं खूबसरती न बिगड़ जाए।
चौथी हंसी
पत्नी- तुम शराब में बहुत पैसे बरबाद करते हो, अब बंद करो।
चिंटू- और तुम ब्यूटी पार्लर में 5000 का कबाड़ा करके आती हो उसका क्या।
पत्नी- वो तो मैं तुम्हें सुंदर लगूं इसलिए…
चिंटू- पगली तो में भी तो इसलिये पीता हूं कि तू मुझे सुंदर लगे।
कल इसी तरह पुनः आपसे रूबरू होंगे हंसी के नए आयामों के साथ।
इसे फिर पढ़ें
Humour is an integral part of our life. Life without humour is like a river without flowing water. जीवन के लिए जैसे पानी और भोजन जरूरी हैं, वैसे ही विनोद अर्थात हंसी-ठिठोली भी जीवन को संतुलित बनाए रखने के लिए आवश्यक है। शरीर और सेहत पर मनोविनोद का प्रभाव मनोवैज्ञानिक और वैज्ञानिक तरीके से भी सकारात्मक रूप में सामने आता है। Medical Science के अनुसार, हंसने से हमारे शरीर की इम्यूनिटी ठीक रहती है,जो हमें कई बीमारियों से बचाती है। मनोविज्ञान इसे हमारी आत्मिक शक्ति के प्रभाव के रूप में देखता है। सामान्य लोक रुचि के हिसाब से देखें तो जोक्स और चुटकुले हमारी जिंदगी में गर्माहट घोलते हैं और हंसाने में भी हमारी मदद करते हैं। हंसने से मन प्रसन्न रहता है और घर में खुशहाली रहती है। इसलिए हंसी को हमें अपनी दिनचर्या में शामिल कर लेना चाहिए। हंसने का कोई कारण नहीं दिखाई पड़े तो जबरन उसे तलाशने और तलाश कर उसके आधार पर हंसने की कोशिश करनी चाहिए। दार्शनिक अंदाज में कहा जाता है कि दूसरों पर हंसना आसान है, लेकिन खुद पर हंसना जिगर का बड़ा काम है। हमें अपने जीवन में खुद हंसने और दूसरों को हंसाने में रुचि रखनी चाहिए। तभी यह जग सुंदर धाम बन सकता है।