पहली हंसी
संता- यार ,ये शादी का मतलब क्या होता है?
बंता- धूमधाम से खुद की सुपारी देना! मीटू हो गया हैरान।
दूसरी हंसी
टीचर संता से- बताओ ऑपरेशन से पहले मरीज को बेहोश क्यों किया जाता है।
संता- अगर बेहोश नहीं किया और मरीज ऑपरेशन करना सीख गया, तो डॉक्टरों को कौन पूछेगा।
संता का जवाब सुन टीचर ही बेहोश हो गई।
तीसरी हंसी
बंता- मैडम जी, 1869 में गांधी जी का जन्म हुआ था।
टीचर- शाबाश, अच्छा अब बताओ 1872 में क्या हुआ था।
बंता- मैडम जी, 1872 में गांधी जी 3 साल के हो गए थे।
चौथी हंसी
जब एक औरत ने ट्रैफिक सिग्नल तोड़ दिया, पुलिसवाला-रुको।
औरत- मुझे जाने दो, मैं एक टीचर हूं।
पुलिसवाला- अहा! इस दिन के इंतज़ार में तो मैं कई सालो से था,
चलो, अब लिखो मैं कभी ट्रैफिक सिग्नल नही तोडूंगी, 100 बार।
कल इसी तरह पुनः आपसे रूबरू होंगे हंसी के नए आयामों के साथ।
इसे फिर पढ़ें
Humour is an integral part of our life. Life without humour is like a river without flowing water. जीवन के लिए जैसे पानी और भोजन जरूरी हैं, वैसे ही विनोद अर्थात हंसी-ठिठोली भी जीवन को संतुलित बनाए रखने के लिए आवश्यक है। शरीर और सेहत पर मनोविनोद का प्रभाव मनोवैज्ञानिक और वैज्ञानिक तरीके से भी सकारात्मक रूप में सामने आता है। Medical Science के अनुसार, हंसने से हमारे शरीर की इम्यूनिटी ठीक रहती है,जो हमें कई बीमारियों से बचाती है। मनोविज्ञान इसे हमारी आत्मिक शक्ति के प्रभाव के रूप में देखता है। सामान्य लोक रुचि के हिसाब से देखें तो जोक्स और चुटकुले हमारी जिंदगी में गर्माहट घोलते हैं और हंसाने में भी हमारी मदद करते हैं। हंसने से मन प्रसन्न रहता है और घर में खुशहाली रहती है। इसलिए हंसी को हमें अपनी दिनचर्या में शामिल कर लेना चाहिए। हंसने का कोई कारण नहीं दिखाई पड़े तो जबरन उसे तलाशने और तलाश कर उसके आधार पर हंसने की कोशिश करनी चाहिए। दार्शनिक अंदाज में कहा जाता है कि दूसरों पर हंसना आसान है, लेकिन खुद पर हंसना जिगर का बड़ा काम है। हमें अपने जीवन में खुद हंसने और दूसरों को हंसाने में रुचि रखनी चाहिए। तभी यह जग सुंदर धाम बन सकता है।