पहली हंसी
पतनी पति को फोन मिलाती है और पूछती है कहां हो?
पति- याद है, पिछली दीपावली पर हम एक ज्वैलरी की दुकान में गए थे, वहां तुम्हें एक हार पसंद भी आ गया था।
पत्नी- हां याद आया।
पति- और उस समय मेरे पास पैसे नहीं थे।
पत्नी (खुशी से)- हां, हां याद है।
पति- और फिर मैंने कहा था कि ये हार एक दिन मैं तुम्हें दूंगा।
पत्नी (और ज्यादा खुशी से)- हां, हां, हां.. बहुत अच्छी तरह से याद है।
पति- तो बस उसी के बगल वाली दुकान में बाल कटवा रहा हूं, थोड़ा लेट आऊंगा।
दूसरी हंसी
पति-पत्नी में किसी बात पर झगड़ा हो गया…
पत्नी- अब मैं 10 तक गिनूंगी… अगर, तुम ना बोले तो… मैं जहर खा लूंगी।
पत्नी- एक…
पति- खामोश
पत्नी- दो…
पति- फिर भी चुप्प
पत्नी- बोलो ना प्लीज…
पत्नी का रोना शुरू…
पति- गिनती गिन… गिनती
पत्नी- शुक्र है! आप बोले तो, नहीं तो मैं जहर खाने ही वाली थी।
तीसरी हंसी
पत्नी- तुम शराब में बहुत पैसे बरबाद करते हो, अब बंद करो।
पप्पू- औऱ तुम ब्यूटी पार्लर में 5000 का कबाड़ा करके आती हो उसका क्या।
पत्नी- वो तो मैं तुम्हें सुंदर लगूं इसलिए…
पप्पू- पगली तो में भी तो इसलिए पीता हूं कि तू मुझे सुंदर लगे।
पत्नी बेहोश।
चौथी हंसी
पत्नी- मुझे एक कुत्ता खरीदना है।
पति- तुम्हें कुत्ता ही क्यों खरीदना है?
पत्नी- ताकि तुम्हारे ऑफिस जाने के बाद कोई तो मेरे आगे पीछे दुम हिलाने वाला हो।
कल इसी तरह पुनः आपसे रूबरू होंगे हंसी के नए आयामों के साथ।
इसे फिर पढ़ें
Humour is an integral part of our life. Life without humour is like a river without flowing water. जीवन के लिए जैसे पानी और भोजन जरूरी हैं, वैसे ही विनोद अर्थात हंसी-ठिठोली भी जीवन को संतुलित बनाए रखने के लिए आवश्यक है। शरीर और सेहत पर मनोविनोद का प्रभाव मनोवैज्ञानिक और वैज्ञानिक तरीके से भी सकारात्मक रूप में सामने आता है। Medical Science के अनुसार, हंसने से हमारे शरीर की इम्यूनिटी ठीक रहती है,जो हमें कई बीमारियों से बचाती है। मनोविज्ञान इसे हमारी आत्मिक शक्ति के प्रभाव के रूप में देखता है। सामान्य लोक रुचि के हिसाब से देखें तो जोक्स और चुटकुले हमारी जिंदगी में गर्माहट घोलते हैं और हंसाने में भी हमारी मदद करते हैं। हंसने से मन प्रसन्न रहता है और घर में खुशहाली रहती है। इसलिए हंसी को हमें अपनी दिनचर्या में शामिल कर लेना चाहिए। हंसने का कोई कारण नहीं दिखाई पड़े तो जबरन उसे तलाशने और तलाश कर उसके आधार पर हंसने की कोशिश करनी चाहिए। दार्शनिक अंदाज में कहा जाता है कि दूसरों पर हंसना आसान है, लेकिन खुद पर हंसना जिगर का बड़ा काम है। हमें अपने जीवन में खुद हंसने और दूसरों को हंसाने में रुचि रखनी चाहिए। तभी यह जग सुंदर धाम बन सकता है।