पहली हंसी
एक आदमी कॉकरोच को मार रहा था।
मरने से पहले कॉकरोच ने आदमी से आखिरी बार कहा- मार दे मुझे डरपोक कहीं के।
तू मुझसे इसलिए चिढ़ता है, क्योंकि तेरी बीवी मुझसे डरती है और तुझसे नहीं।
दूसरी हंसी
शौंटी उदास बैठा था।
मौंटी- क्या हुआ, उदास क्यों बैठा है?
शौंटी- क्या बताऊं यार, किसी ने कहा कि पेड़ से हमें ‘शीतल छाया’ मिलती है।
मैं यहां पेड़ के नीचे तीन दिन से बैठा हूं,
लेकिन न तो शीतल आई और न छाया।
तीसरी हंसी
मटरू अपने दोस्त चिंटू को ज्ञान बांट रहा था।
अगर परीक्षा में पेपर बहुत कठिन हो तो आंखें बंद करो।
गहरी सांसें लो और जोर से कहो: ये सब्जेक्ट बहुत मजेदार है। इसलिए अगले साल फिर पढ़ेंगे।
चौथी हंसी
टीचर- कभी किसी लड़की को प्रपोज किया है?
गटरू- नहीं सर, हम तो गणित के स्टूडेंट हैं।
टीचर- मतलब?
गटरू- मतलब हम प्रपोज नहीं सिर्फ सपोज करते हैं।
हमने सपोज किया है – माना कि वो मेरी है।
कल इसी तरह पुनः आपसे रूबरू होंगे हंसी के नए आयामों के साथ।
इसे फिर पढ़ें
Humour is an integral part of our life. Life without humour is like a river without flowing water. जीवन के लिए जैसे पानी और भोजन जरूरी हैं, वैसे ही विनोद अर्थात हंसी-ठिठोली भी जीवन को संतुलित बनाए रखने के लिए आवश्यक है। शरीर और सेहत पर मनोविनोद का प्रभाव मनोवैज्ञानिक और वैज्ञानिक तरीके से भी सकारात्मक रूप में सामने आता है। Medical Science के अनुसार, हंसने से हमारे शरीर की इम्यूनिटी ठीक रहती है,जो हमें कई बीमारियों से बचाती है। मनोविज्ञान इसे हमारी आत्मिक शक्ति के प्रभाव के रूप में देखता है। सामान्य लोक रुचि के हिसाब से देखें तो जोक्स और चुटकुले हमारी जिंदगी में गर्माहट घोलते हैं और हंसाने में भी हमारी मदद करते हैं। हंसने से मन प्रसन्न रहता है और घर में खुशहाली रहती है। इसलिए हंसी को हमें अपनी दिनचर्या में शामिल कर लेना चाहिए। हंसने का कोई कारण नहीं दिखाई पड़े तो जबरन उसे तलाशने और तलाश कर उसके आधार पर हंसने की कोशिश करनी चाहिए। दार्शनिक अंदाज में कहा जाता है कि दूसरों पर हंसना आसान है, लेकिन खुद पर हंसना जिगर का बड़ा काम है। हमें अपने जीवन में खुद हंसने और दूसरों को हंसाने में रुचि रखनी चाहिए। तभी यह जग सुंदर धाम बन सकता है।