Odisha News : ईश्वर की लीला पर उस वक्त यकीन मजबूत होने लगता है, जब कोई विस्मयकारी या अनहोनी सी घटना होनी के रूप में सामने आ जाती है। ओडिशा के कटक जिले के एक गांव में एक बेटे और उसकी मां के साथ ऐसी ही घटना सामने आई है।
मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार, सोमेश्वर दास मानसिक स्थिति खराब होने के कारण 26 साल पहले घर से निकल गए थे। उनके बेटे और पत्नी ने कई साल तक उन्हें तलाशा, लेकिन नहीं मिले। सामाजिक रीति-रिवाज के दबाव में परिवार वालों ने 24 साल बाद मृत समझकर, उनका अंतिम संस्कार कर दिया। इसके बाद से उनकी पत्नी विधवा की तरह रहने लगी, लेकिन एक मास पहले एक फोन ने उनके जीवन को फिर से खुशियों से भर दिया, क्योंकि उन्हें पता चला कि सोमेश्वर दास जिंदा हैं। बेटा संतोष दास उन्हें लेने के लिए कटक से राजस्थान के भरतपुर के अपना घर आश्रम पहुंचा। उन्हें देखते ही वह उनसे लिपटकर रोने रोने लगा। कुछ देर बाद दोनों आश्रम से रवाना हो गए।
24 साल बाद कर दिया ब्रह्मभोज
संतोष दास ने बताया, हमारे यहां मान्यता है कि अगर कोई लापता व्यक्ति 12 साल तक नहीं मिलता है तो उसे मृत समझकर ब्रह्मभोज कर दिया जाता है, लेकिन उनकी मां को भरोसा था कि उनके पति सोमेश्वर दास जरूर मिलेंगे। ऐसे में उन्होंने 24 साल तक इंतजार किया, लेकिन पिता की जानकारी नहीं मिली। आखिर में उन्हे मृत समझकर ब्रह्मभोज कर दिया। इसके बाद से मां सोनालता विधवा की तरह रहने लगीं। संतोष ने बताया कि एक माह पहले अपना घर आश्रम से फोन आया, उन्होंने बताया कि उनके परिजन सोमेश्वर दास यहां रह रहे हैं। एक महीने में आश्रम की सभी जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज और अन्य सदस्यों ने सोमेश्वर दास को उनके बेटे के साथ उनके घर भेज दिया।
पिता के लापता होने के वक्त 13 साल का था बेटा
सोमेश्वर दास के लापता होने के दौरान उनके बेटे की उम्र करीब 13 साल थी। आज वह 39 साल का हो गया है। 10 जुलाई 2022 को जब वह आश्रम पहुंचा तो 26 साल बाद पिता को देखकर खुद को नहीं रोक पाया और उनसे लिपटकर रोने लगा। आश्रम के संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज ने बताया कि सोमेश्वर दास का इलाज चल रहा था। उनके बेटे को इसकी जानकारी दी गई है, उसका कहना है कि वहां जाकर वह पिता का इलाज जारी रखेगा।