एकीकृत बिहार क्रिकेट संघ और झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन (जेएससीए) के पूर्व सचिव बीएन सिंह उर्फ बुल्लू बाबू का निधन बुधवार को हो गया। वह 75 वर्ष के थे। उन्होंने जमशेदपुर के कांट्रेक्टर एरिया स्थित अपने आवास में अंतिम सांस ली। परिवारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दो-तीन दिन से वह बीमार चल रहे थे। उनका अंतिम संस्कार जमशेदपुर में ही होगा। उनके परिजन बीएन सिंह की बेटी और दामाद के आने का इंतजार कर रहे हैं। मालूम होगी उनकी बेटी विदेश में रहती है। बीएन सिंह पिछले 50 वर्षों से क्रिकेट से जुड़े हुए थे। क्रिकेट उनके रग रग में बसा था। सच कहें तो उन्होंने झारखंड और बिहार में क्रिकेट को अपने खून और पसीना से सिंचा है। जिसका परिणाम आज हमें मिल रहा है। बीएन सिंह के निधन से क्रिकेट जगत खासकर झारखंड और बिहार में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके निधन की खबर सुनकर पुराने और नए क्रिकेटरों के साथ साथ खेल संघों के पदाधिकारी सन्न रह गए।
अपने उदार स्वभाव और सरलता के लिए जाने जाते थे
बीएन सिंह भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन उनका उदार स्वभाव और उनकी सहजता और सरलता हमारे बीच मौजूद रहेगी। कोई बड़ी शख्सियत हो अथवा क्रिकेट की नई पौध सभी से वह समान व्यवहार करते थे। मधुर स्वभाव के धनी रहे बीएन सिंह से कोई भी मिलने में हिचकी चाहता नहीं था। वह सबके लिए सहजता से उपलब्ध है।
कीनन के निर्माण में भी निभाई थी अहम भूमिका
बीएन सिंह के दिल में क्रिकेट बसता था। वह इस खेल को बढ़ाने के लिए हर संभव कोशिश करते रहते थे। चाहे वह जमशेदपुर का कीनन स्टेडियम हो, वहां का कोऑपरेटिव कॉलेज ग्राउंड हो या चाईबासा का क्रिकेट स्टेडियम। सबके लिए उन्होंने समान रूप से मेहनत की थी। इन मैदानों के निर्माण में बीएन सिंह ने निजी तौर पर बड़ी भूमिका निभाई थी।