World इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट की दृष्टि से पिछले कुछ वर्षों में जिस गति से आगे बढ़ा है, उसी गति से दुनिया पाॅलूशन यानी प्रदूषण के खतरे को भी गंभीरता से झेल रही है। यह समस्या अब हमारे पूरे नेचुरल सिस्टम को भी डैमेज कर रही है और भविष्य में यह पूरी मानव जाति के लिए संकट का बड़ा कारण बनने की राह पर है। ऐसी गंभीर समस्या से निजात पाने के लिए अथवा ऐसी समस्या को कम करने के लिए दुनिया में साइंस और टेक्नोलॉजी के प्रयास काफी महत्वपूर्ण हैं। इस दृष्टि से दुनिया में रिसर्च और इनोवेशन के कार्य लगातार चल रहे हैं। इस साल कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजी के विकास की बात दुनिया में व्यापक चर्चा का विषय बनी है।
कुछ दिनों से हो रही ज्यादा चर्चा
कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजी पिछले कुछ दिनों से काफी चर्चा में है। डेलावेयर University के शोधकर्ताओं ने हाल ही में हाइड्रोजन द्वारा संचालित विद्युत रासायनिक प्रणाली (इलेक्ट्रिकल केमिकल सिस्टम) का उपयोग करके हवा से 99% कार्बन डाइऑक्साइड को कैप्चर करने का डेमो दिखाया है,जिसके बाद से इसकी चर्चा बड़े स्तर पर होने लगी है।
एलन मस्क ने 720 करोड़ इस टेक्नोलॉजी पर खर्च करने का किया एलान
टेस्ला के चीफ और दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क ने भी कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजी पर करीब 720 करोड़ रुपये खर्च करने का एलान किया है। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि वे कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन टेक्नोलॉजी की खोज करने वाले व्यक्ति को 720 करोड़ रुपये का इनाम देंगे।
इस तरीके से काम करती है CCT
वातावरण में फैले या फैलने वाले कार्बन डाइऑक्साइड को कैप्चर करने की प्रक्रिया ही कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजी है। इसके माध्यम से फैक्ट्रियों और तमाम पावर प्लांट की चिमनियों से निकलने वाले कार्बन डाइऑक्साइड को कैप्चर करके किसी अन्य जगह स्टोर किया जाएगा, जिससे वातारण को बचाया जा सकेगा।