Mumbai news, Bollywood news : कलाकार अपने स्पेशल परफॉर्मेंस से लोगों का मनोरंजन ही नहीं करता है, वह समाज को संदेश भी देता है और अधिकारों के लिए लड़ने के लिए रास्ता भी बताता है। बांग्ला और हिंदी सिनेमा जगत में उत्पल दत्त ऐसे ही एक स्वनामधन्य सशक्त कलाकार थे। हंसाने की कला में जितने माहिर थे, उतने ही एक खलनायक के रूप में दशकों में चर्चित और लोकप्रिय थे।
1965 में भेजे गए थे जेल
सत्ता के खिलाफ उनकी आवाज उनके नाटकों में ही भी बुलंद होती है। यही कारण है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 1965 में न केवल उन पर मुकदमा किया था, बल्कि जेल भी भेजा था और उनके तीन नाटकों पर प्रतिबंध भी लगा दिया था। यह गनीमत रही की 1967 में बंगाल में हुए विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस हार गई और वामपंथी दल सत्ता में आए तो उन्हें जेल से रिहा कर दिया। 1929 में जन्मा जो कलाकार आज से 32 साल पहले 1993 में मर चुका हो, वह आज भी अपने जिंदा परफॉर्मेंस से लोगों के हृदय में जिंदा है।
इन तीन नाटकों पर लगा था प्रबंध
इमरजेंसी के दौरान सरकार ने उत्पल दत्त के लिखे तीन नाटकों बैरिकेड, सिटी ऑफ नाइटमेयर्स और इंटर द किंग पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस पर भी काफी ज्यादा विवाद हुआ था। बंगाल के बरिसाल जिले (अब बांग्लादेश का हिस्सा) में जन्मे उत्पल दत्त ने अपने करियर में तमाम ऐसे किरदार निभाए, जो आज भी याद किए जाते हैं।
अमिताभ के सामने बने थे विलेन
उत्पल दत्त प्रारंभिक पढ़ाई-लिखाई शिलॉन्ग में हुई थी। इसके बाद उन्हें हायर एजुकेशन के लिए कलकत्ता (अब कोलकाता) भेज दिया गया। कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज में इंग्लिश लिटरेचर की पढ़ाई करने के बाद वह बंगाली और अंग्रेजी थिएटर से जुड़ गए। यह महत्वपूर्ण है कि उन्होंने अमिताभ बच्चन स्टारर फिल्म द ग्रेट गैंबलर और इंकलाब में विलेन का किरदार निभाया। उत्पल दत्त की फिल्मों की बात करें तो गोलमाल, नरम-गरम, माइकल, मधुसूदन, गुड्डी, रंग बिरंगी और शौकीन आदि मूवीज शामिल हैं।



