■ गांव का विकास ही राज्य का विकास : हेमन्त
मुख्यमंत्री ने कहा
■ हमारी सरकार किसानों के हित में हर सम्भव कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध
Ranchi News: हरे-भरे खेत, पेड़ों की लहरातीं टहनियां, नीले आसमान के नीचे फैली हरियाली और मिट्टी…मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का पैतृक गांव नेमरा। गांव की पगडंडियों पर चलते हुए मुख्यमंत्री ने न केवल धान रोपनी में लगे किसानों-महिलाओं के साथ बातचीत की, बल्कि प्रकृति के इस अद्भुुत सौन्दर्य को निहारते हुए बचपन की यादें भी ताजा कीं।
उन्होंने नेमरा के बरमसिया और बड़का नदी दोईन में किसानों से बातचीत करते हुए कहा, ‘स्थानीय तौर पर बारिश के पानी का खेती के लिए इस्तेमाल किये जाने के बहुत फायदे हैं। छोटी बरसाती नदी के पानी को चेक डैम के जरिये खेतों तक पहुंचाने की सरकार की योजना का लाभ लें। स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर अपनी खेती की बेहतरी से अपनी आमदनी बढ़ाने का प्रयास करें। सरकार आपके साथ खड़ी है, आपकी मदद के लिए तत्पर है।’
उन्होंने कहा, ‘प्रकृति के ऐसे नजारों को देखने के लिए लोग दूर-दूर देशों तक घूमने जाते हैं। अपने झारखंड के गांवों में तमाम ऐसे दृश्य प्रकृति ने बिखेर रखे हैं। हम सबों को पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए सजग रहने की जरूरत है।’ इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने किसानों से लम्बी बातचीत की। उन्होंने खेती-बाड़ी की मौजूदा स्थिति, बारिश के हालात, खाद और बीज की उपलब्धता के बारे में जानकारी ली। किसानों ने भी खुले मन से अपनी समस्याएं बतायीं और सुझाव रखे।
ग्रामीणों के साथ बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार गांव-गांव तक बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने के लिए निरन्तर काम कर रही है। हमारी सरकार किसानों के हित में हर सम्भव कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार गांव के विकास, सड़क, सिंचाई और शिक्षा सुविधाओं के विस्तार के लिए लगातार प्रयासरत है।
इस दौरान नेमरा के रविदास सोरेन, बिरजू सोरेन, दिलका सोरेन, विश्वनाथ बेसरा और परमेश्वर सोरेन मुख्यमंत्री के साथ थे।
“आदिवासी समाज ने मानव को प्रकृति के साथ जुड़कर खुशहाल जीवन जीने का मार्ग दिखाया”
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने शनिवार को विश्व आदिवासी दिवस पर अपने पिता स्वर्गीय शिबू सोरेन को याद किया और उनके दिखाये रास्तों पर चलने का संकल्प लिया। उन्होंने आदिवासी समाज के सभी वीर पुरुखों को नमन किया।
मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने सोशल माडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा है…’आज विश्व आदिवासी दिवस है। आज मेरे मार्गदर्शक, मेरे गुरु, मेरे बाबा सशरीर मेरे साथ नहीं हैं, मगर उनका संघर्ष, उनके विचार, उनके आदर्श हमें हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे। वह न केवल मेरे पिता थे, बल्कि समस्त आदिवासी समाज समेत झारखंड की आत्मा, संघर्ष के प्रतीक और जल, जंगल, जमीन के सबसे मुखर रक्षक भी थे।’
मुख्यमंत्री ने लिखा है…’यह आदिवासी समाज ही है, जिसने मानवजाति को प्रकृति के साथ सांमजस्य बना कर खुशहाल जीवन जीने का मार्ग दिखाया है। आदिवासी समाज का जीवन-दर्शन प्रकृति से ही शुरू और प्रकृति पर ही खत्म होता है। मगर, सदियों से खुद आदिवासी तथा शोषित-वंचित समाज हाशिये पर खड़े रहने को मजबूर रहा। बाबा ने इसी स्थिति को बदलने के लिए अपना पूरा जीवन न्योछावर कर दिया था।’
उन्होंने लिखा है…’विश्व आदिवासी दिवस पर राज्य भर में होनेवाले कार्यक्रम बाबा लिए प्रिय रहे हैं, क्योंकि यह अवसर आदिवासी समाज की समृद्ध सभ्यता और संस्कृति को एक सूत्र में पिरोने का माध्यम रहा है। आदिवासी समाज की प्रतिभा को वैश्विक मंच देने का अवसर बना है।’
मुख्यमंत्री ने लिखा है…’आज पूरा विश्व आदिवासी दिवस मना रहा है। इस अवसर पर मैं बाबा दिशोम गुरु सहित उन सभी वीर पुरुखों को नमन करता हूं, जिन्होंने संघर्ष और शहादत देकर हमारी पहचान, हमारी संस्कृति, हमारी सभ्यता और हमारे अधिकारों की रक्षा की। विश्व आदिवासी दिवस पर मैं नमन करता हूं अपने वीर पुरखों को और संकल्प लेता हूं कि उनके दिखाये मार्ग पर चल कर झारखण्ड और देश में आदिवासी अस्मिता की मशाल को और ऊंचा करूंगा। झारखण्ड के वीर अमर रहें। देश के समस्त वीर आदिवासी योद्धा अमर रहें। जय जोहार, जय आदिवासियत, जय झारखंड।’
मुख्यमंत्री ने यह भी लिखा है…’ सुदृढ़ गांव सशक्त राज्य और समृद्ध देश की नींव है।’
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने अपने पिता स्वर्गीय शिबू सोरेन के पारम्परिक श्राद्ध कर्म के पांचवें दिन स्थानीय मान्यताओं के अनुरूप अपने परिजनों के साथ परम्परागत रस्म भी निभायी।



