Mumbai news, Bollywood news : बॉलीवुड के अगर पिछले दो दशकों के इतिहास पर नजर घुमाइए तो उसमें अच्छा पोजिशन बनाने वाली अभिनेत्री में बिपाशा बसु का नाम जरूर याद आएगी। भले आज उनका मार्केट रेट पहले जैसा नहीं है, फिर भी वह फिल्मों के लिए पूछी जाती हैं और उनका महत्व बना हुआ है। बिपाशा बसु ने दो फिल्मों को ठुकराने के बाद साल 2001 में आई फिल्म ‘अजनबी’ से बॉलीवुड डेब्यू किया था। फिल्म में नेगेटिव रोल प्ले करने के बावजूद उन्हें सराहना मिली। उन्हें फिल्मफेर बेस्ट डेब्यू अवॉर्ड से भी नवाजा गया था। साल 2002 में ‘राज’ एक ब्लॉकबस्टर हिट रही। इसके बाद आज भी वह फिल्मों में काम कर रही हैं।

कद-काठी और रंग का कोई महत्व नहीं
17 साल की उम्र से मॉडलिंग करने वाली इस अभिनेत्री ने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखकर अपने तरह का अपना सिक्का जमाया। यह जान लीजिए कि फिल्मों में सफल होने के लिए रंग और कद-काठी से ज्यादा अभिनय क्षमता का महत्व होता है और बिपाशा ने ऐसा सिद्ध करके दिखाया है। उनके करियर में उनका सांवला रंग कभी आड़े नहीं आया। शायद आपको याद नहीं हो, सिर्फ 16 साल की उम्र में ही बिपाशा ने गोदरेज सिंथॉल सुपरमॉडल कॉन्टेस्ट जीता था। फिर फिल्मों में आईं और कामयाबी हासिल करती गईं।
बोल्डनेस का कोई जवाब नहीं
ध्यान दीजिए, बिपाशा ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल कुछ समय पहले ही लिखा था, ‘जब मैं बड़ी हो रही थी तो मैंने अक्सर सुना कि बोनी, सोनी से ज्यादा काली है। वो थोड़ी सांवली है ना। जबकि मेरी मां भी डस्की ब्यूटी थीं और मैं काफी हद तक उनकी तरह ही लगती थी। मुझे कभी पता नहीं चला कि मेरे रिश्तेदार इस बारे में चर्चा क्यों करते थे। यह बिपाशा के अंदर का कॉन्फिडेंस बोल रहा था की टैलेंट को एक्सप्रेस करने के लिए कलर कोई मैं नहीं रखता है उन्होंने बोर्ड से बॉर्डर फिल्म दी और दूसरे अभिनेत्री से बेहतर परफॉर्म किया।
फिर लिखा है- यहां एक मानसिकता है खूबसूरती की और कैसे एक एक्ट्रेस को दिखना और बिहेव करना चाहिए। मगर मैं अलग थी। मैं कॉन्फिडेंट थी। बचपन से हूं। मेरा स्किन कलर मुझे डिफाइन नहीं करता। मुझे ये पसंद है और मैं इसे नहीं बदलना चाहती।



