Mumbai news, Bollywood news, film director Ramesh Sippy, Bollywood film Sholay : बॉलीवुड में हम रह-रहकर एक से बढ़कर एक अभिनेताओं, अभिनेत्रियों और फिल्म निर्देशकों की चर्चा करते आए हैं। इस कड़ी में आज हम देश के जाने-माने फिल्म निर्देशक रमेश सिप्पी की चर्चा करेंगे। इसका कोई विशेष कारण नहीं है, लेकिन उन्होंने एक ऐसी फिल्म डायरेक्टर की, जो अपने जमाने से लेकर आज तक अपनी लोकप्रियता के चरम शिखर पर है। उसके डायलॉग आज भी लोगों की जुबान पर है। उस डायलॉग को याद कीजिए- कितने आदमी थे। यह डायलॉग है फिल्म में गब्बर सिंह का रोल निभा रहे अमजद खान की। इस फिल्म में संजीव कुमार, अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र और हेमा मालिनी ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह फिल्म उस साल आई थी, जिस साल देश में इमरजेंसी लागू हुई थी। यह साल था 1975 का। अब आप नाम जान ही गए होंगे, फिर भी बता दूं कि उस फिल्म का नाम था शोले और उसके डायरेक्टर थे रमेश सिप्पी।
5 साल बाद आई शान हो गई फ्लॉप
शोले के रूप में रमेश सिप्पी ने इतनी बड़ी लकीर खींच दी कि उनके द्वारा बनाई गई फिल्मों की तुलना ‘शोले’ से होने लगी। यह ठीक नहीं हुआ। शोले की सफलता रमेश पर भारी पड़ने लगी और वे एक तरह के दबाव में आ गए। शोले की अपार सफलता और मुंबई के मेट्रो सिनेमा में लगातार 5 वर्षों से अधिक चलकर रिकॉर्ड बनाने वाली फिल्म के बाद उनकी शान (1980) भी बड़े बजट और बहुल सितारों से लकदक थी। शोले की तुलना में शान बेहद मामूली फिल्म थी और यह फ्लॉप हो गई। निर्देशन की दृष्टि से भी शान रमेश की सबसे कमजोर फिल्म थी।
डायलॉग राइटर का एक्सट्रीम सदुपयोग
कहा जाता है कि उसे जमाने में शोले फिल्म का सब कुछ अद्भुत था। इसके डायलॉग लेखक सलीम जावेद। डायरेक्टर रमेश सिप्पी ने उनसे ऐसा संवाद लिखवाया, जो जन-जन की जुबान पर चढ़ गया। यही रमेश सिप्पी के डायरेक्शन का कमाल है। शोले फिल्म के डायरेक्शन के कारण ही उन्हें शोले वाले डायरेक्टर के रूप में भी जाना जाता है। इस फिल्म में जरा अन्य पात्रों को भी याद कर लीजिए। ठाकुर साहब, बसंती, सांभा, जय-वीरू, सूरमा भोपाली को गाहे-बगाहे याद किया जाता है। फिल्म ‘शोले‘ को ऑल टाइम ग्रेट माना जाता है। इस फिल्म का निर्माण रमेश सिप्पी के पिता गोपाल दास परमानंद सीपी थे।
यहां भी दिखा कमाल
रमेश सिप्पी के डायरेक्शन का कमाल आप इन फिल्मों में भी देख सकते हैं। अंदाज (1971), सीता और गीता (1972), शान (1980), शक्ति (1982), सागर (1985) भ्रष्टाचार (1989), अकेला (1991), जमाना दीवाना (1995), शिमला मिर्च (2020) टीवी सीरियल बुनियाद।



