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इस मंदिर में माता के दर्शन के लिए आपको पार करने होंगे पथरीले रास्ते और रहस्यमय गुफा

इस मंदिर में माता के दर्शन के लिए आपको पार करने होंगे पथरीले रास्ते और रहस्यमय गुफा

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Kawardha news : भारतीय हिंदू आस्था परंपरा में मंदिरों का महत्व निर्विवाद है। देश के सभी राज्यों में ऐसे पुराने जमाने के मंदिर हैं और उन मंदिरों में देवी माता के मंदिरों के प्रति हिंदू समाज की आस्था अटूट है। ऐसे मंदिरों में छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले की हिंगलाज भवानी का मंदिर हिंदुओं की आस्था का बड़ा केंद्र है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यह 2500 फीट ऊंचे पहाड़ पर स्थित है और उससे जुड़ा हुआ एक गुफा है। यहां पहुंचने के लिए अत्यंत कठिन पथरीले रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है। लेकिन, यह सब सहते हुए यहां लोग मां भवानी के दर्शन करने को जाते हैं। इस मंदिर में माता के दर्शन के बाद श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, ऐसी लोगों की आस्था है।

जिला मुख्यालय से 65 किलोमीटर दूर

यह मंदिर कवर्धा मुख्यालय से लगभग 65 किलोमीटर दूर राजनांदगांव मार्ग पर लोहारा विकासखंड का गांव सुतियापाट है। यहां जंगल के बीचों-बीच एक जलाशय है। उसी से कुछ दूरी पर एक विशाल पहाड़ के उपर अंधेरे गुफा में मां हिंगलाज भवानी विराजमान हैं।

मंदिर के पुजारी केम लाल बताते हैं कि यहां विराजमान माता हिंगलाज भवानी देवी का सिद्धपीठ है। पहले लोगों को पता ही नहीं था कि इस पहाड़ पर देवी माता विराजमान हैं। पुराने लोगों से उन्हें पता चला कि गाय बकरी चराने आऐ लोगों ने पहाड़ पर बने गुफा को देखा था। कुछ लोग गुफा के अंदर गए तब उन्होंने सिद्धपीठ देवी को विराजमान देखा। उसके बाद धीरे-धीरे लोगों को मां हिंगलाज के बारे में पता चला और लोग यहां आने लगे।

रहस्यमय है यह गुफा

जिस गुफा के अंदर देवी माता विराजमान है, उस गुफा को लोग रहस्यमयी बताते हैं। गुफा के अंदर जाने पर लगभग 50 मीटर में देवी मां विराजमान है। वहां से गुफा में अंदर जाने का रास्ता छोटा हो जाता है। लोग कुछ दूर जाकर वापस लौट आते हैं। लोगों का मानना है कि गुफा के अंदर ही अंदर डोंगरगढ़ के मां बम्लेश्वरी मंदिर और भोरमदेव मंदिर तक रास्ता जाता है। यहां के मंदिर में माता के दर्शन के लिए कवर्धा, दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर, बेमेतरा से श्रद्धालु आते हैं।

प्रशासन ने बनवाया है बड़ा जलाशय

2003 में पहाड़ के नीचे प्रशासन की तरफ से एक बड़े जलाशय का निर्माण कराया गया। इसे सुतियापट जलाशय के नाम से जाना जाता है। जलाशय के कारण लोग आस-पास घर बनाकर बसने लगे और मंदिर में लोगों का आवागमन बढ़ने लगा। धीरे-धीरे मंदिर तक पहुंचने के लिए एक कच्चा रास्ता और अन्य व्यवस्था की गई। अब यहां मंदिर में देवी माता के दर्शन करने लोग पूरे प्रदेश भर से आते हैं।

कहते हैं कि जो भी यहां एक बार आशीर्वाद लेकर जाता है, माता उसकी मुराद जरूर पूरी करती है, जिसके बाद श्रद्धालु यहां बार-बार आते हैं।

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