शादी -विवाह का शुभ मुहूर्त समाप्त हो चुका है। इसी कारण बैंड- बाजा और बारातियों का शोर थम गया है। सभी पंचागों में 23 फरवरी तक ही अंतिम लग्न था। पंचांग के अनुसार अब 15 अप्रैल से शादी विवाह के शुभ लग्न शुरू होगा। हालांकि मार्च में एक लग्न चार मार्च को हैं। आंशिक लग्न होने के कारण इसका महत्व बहुत ही कम है। वेदाचार्य पंडित रमेशचंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि फाल्गुन मास तो महादेव के विवाह का मुहुर्त है। ऐसे में लोग अपनी खुशियों को छोड़ शिव- पार्वती के विवाह की तैयारियों में जुटते हैं और विवाह उपरांत उत्सव में शामिल होते हैं। फाल्गुन मास के चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इस वर्ष यह एक मार्च मंगलवार को पड़ रहा है।
होली के बाद बजेगी शहनाई
भले ही 23 फवरी से 50 दिनों के शादी-विवाह का शुभ मुहुर्त नहीं रहेगा, पर होली के बाद खूब शहनाई बजेगी। इस बार होली 18-19 मार्च को है। इसलिए होलाष्टक आठ दिन पूर्व 10 मार्च को ही लग रहा है। मान्याताओं के अनुसार होलाष्टक में न सिर्फ शादी-विवाह बल्कि अन्य शुभ कार्य पर भी विराम लग जाता है। होली बीत जाने के बाद 15 अप्रैल से लग्न शुरू होगा। खरमास आने तक कुल 56 शुभ लग्न बताए जा रहे हैं। स्पष्ट है कि अप्रैल से लेकर जुलाई तक चार माह में खूब शहनाई बजेगी। इसके अगस्त से लेकर अक्तूबर और मध्य नवंबर तक कोई लग्न नहीं होगा।
शादी- विवाह के शुभ लग्न
अप्रैल : 15, 16, 17, 18, 19, 20, 21, 22, 23, 27, 28
मई : 02, 03, 04, 09, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 17, 18, 19, 20, 21, 24, 25, 26, 31
जून : 01, 05, 06, 07, 08, 09, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 21, 22, 23
जुलाई: 02, 03, 04, 05, 06, 07, 08, 09, 10
मिथिला पंचांग में शादी- विवाह
अप्रैल : 17, 20, 21, 22, 25, 27 और 28
मई : 2, 11, 12, 13, 18, 20, 22, 25, 26, 27, और 30
जून : 1, 5, 6, 9, 10, 13, 19, 22, 23, 24, और 26
जुलाई : 3, 6 और 8