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भर्ती घोटाले में असम लोक सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष को 14 साल की जेल, 32 दोषी करार

भर्ती घोटाले में असम लोक सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष को 14 साल की जेल, 32 दोषी करार

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Guwahati News : असम लोक सेवा आयोग (एपीएससी) के बहुचर्चित कृषि विकास अधिकारी भर्ती घोटाले में दोषी करार दिये गये 32 लोगों को सोमवार को असम की विशेष कोर्ट ने सजा सुना दी है। एपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष राकेश पाल को 14 साल की सजा और दो लाख रुपये नकद का जुमार्ना सुनाया गया है। जबकि, एपीएससी सदस्य बसंत कुमार दलै और समेदुर रहमान को 10-10 साल कैद की सजा और 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इस मामले में शेष 29 राजपत्रित अधिकारियों को 04-04 साल की कैद और 10-10 हजार रुपये का जुर्माना सुनाया है।

एक असफल अभ्यर्थी ने दर्ज करायी थी एफआईआर

दरअसल, वर्ष 2017 में भांगागढ़ थाने में एक असफल अभ्यर्थी ने एफआईआर दर्ज करायी थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि राकेश कुमार पॉल के चेयरमैन रहते हुए कृषि विकास अधिकारियों की नियुक्ति के नाम पर बड़े पैमाने पर धन का लेन-देन हुआ। इस सम्बन्ध में दर्ज मामले के आधार पर राकेश कुमार पाल समेत कई आरोपितों को पहले भांगागढ़ पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इस मामले में पुलिस ने 44 लोगों को आरोपित बनाया था, जिनमें आयोग के चार सदस्य और एक कर्मचारी, तीन बिचौलिये और 36 अभ्यर्थी शामिल थे। विशेष कोर्ट में लम्बी सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने साक्ष्य के अभाव में 11 अन्य आरोपितों को बरी कर दिया था, जबकि एपीएससी सदस्य बिनीता रिंझा सरकारी गवाह बन गयी थीं। कोर्ट ने 22 जुलाई को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत एपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष राकेश पॉल समेत कुल 32 लोगों को दोषी ठहराया था।

किन-किन को सुनाई गई सजा

इस मामले में सोमवार को विशेष न्यायाधीश ने एपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष राकेश पाल को 14 साल की सजा, एपीएससी के सदस्य बसंत कुमार दलै और समेदुर रहमान को 10-10 साल सजा सुनाई है। इस मामले में शेष 29 राजपत्रित अधिकारियों को चार-चार साल की सजा सुनायी है। इसके साथ ही कोर्ट ने राकेश कुमार पाल पर दो लाख रुपये, सदस्य बसंत कुमार दलै और समेदुर रहमान पर 50-50 हजार रुपये और अन्य पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। उल्लेखनीय है कि नौकरी पाने में एक असफल अभ्यर्थी ने पहले अंकों के सारणीकरण में बदलाव से संबंधित जानकारी के लिए एक आरटीआई से सूचना एकत्र की थी। इसके बाद आरटीआई से प्राप्त सूचना के आधार पर शिकायत दर्ज करायी थी।

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