– 

Bengali
 – 
bn

English
 – 
en

Gujarati
 – 
gu

Hindi
 – 
hi

Kannada
 – 
kn

Malayalam
 – 
ml

Marathi
 – 
mr

Punjabi
 – 
pa

Tamil
 – 
ta

Telugu
 – 
te

Urdu
 – 
ur

होम

वीडियो

वेब स्टोरी

वैशाख के समान कोई मास नहीं और सतयुग के समान कोई युग नहीं और…

Vaishakh Month 2022

Share this:

Vaishakh is the best month 12 महीनों में वैशाख सबसे उत्तम महीना माना जाता है। इस महीने की बड़ी खासियत यह है कि इसमें ही अक्षय तृतीया पड़ती है। इस बार अक्षय तृतीया 3 मई को थी। अक्षय तृतीया का महत्व कई प्रकार से आंका जाता है। यह हर तरह के शुभ कार्यों के लिए स्वयंसिद्ध मुहूर्त है। इस दिन विवाह, गृहप्रवेश, व्यापार अथवा उद्योग का आरंभ करना अति शुभ होता है। सही मायने में अक्षय तृतीया अपने नाम के अनुरूप शुभ फल प्रदान करती है। अक्षय तृतीया पर सूर्य व चंद्रमा उच्च राशि में रहते हैं।

अक्षय तृतीया के समान तिथि नहीं

अक्षय तृतीया के महत्व और उपयोगिता को निम्न तरीके से  समझें। शास्त्रों अनुसार, वैशाख के समान कोई मास नहीं है। सतयुग के समान कोई युग नहीं है।  वेद के समान कोई शास्त्र नहीं और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है। उसी तरह अक्षय तृतीया के समान कोई तिथि नहीं है। मान्यता है कि इस दिन जो भी काम किया जाए उसमें लाभ होता है। इस दिन किए शुभ कार्यों का फल कभी समाप्त नहीं होता। बुरा काम करेंगे तो उसका फल भी अवश्य मिलेगा।

क्या-क्या होता है इस दिन होता है प्रारंभ

परशुराम और गंगा का अवतरण इसी दिन

विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का था जन्म अक्षय तृतीया को हुआ था। इस दिन धरती पर गंगा अवतरित हुई। सतयुग, द्वापर व त्रेतायुग के प्रारंभ की गणना इस दिन से होती है।

नए कार्य का शुभारंभ करें

अक्षय तृतीया तीन मई को है। इस दिन नया वाहन लेना या गृह प्रवेश करना, आभूषण खरीदना इत्यादि जैसे कार्यों के लिए तो लोग इस तिथि का विशेष उपयोग करते हैं। मान्यता है कि यह दिन सभी के जीवन में अच्छे भाग्य और सफलता को लाता है। इसलिए लोग जमीन-जायदाद संबंधी कार्य, शेयर मार्केट में निवेश, नया बिजनेस शुरू करने जैसे काम भी लोग इसी दिन करते हैं। यह समय योग्यता को निखारने और अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए उत्तम है। 

सूर्योदय से पहले उठकर करें स्नान

सूर्योदय से पूर्व उठकर करें स्नान, दान व जप

पुराणों के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान, दान, जप, स्वाध्याय आदि करना शुभ फलदायी माना जाता है। इस तिथि में किए गए शुभ कर्म का फल क्षय नहीं होता है। इसको सतयुग के आरंभ की तिथि भी माना जाता है इसलिए इसे’कृतयुगादि’ तिथि भी कहते हैं। मत्स्य पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन अक्षत, पुष्प, दीप आदि द्वारा भगवान विष्णु की आराधना करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है तथा संतान भी अक्षय बनी रहती है।

भौतिक लाभ के लिए विशेष दिन

धन और भौतिक वस्तुओं की प्राप्ति तथा भौतिक उन्नति के लिए इस दिन का विशेष महत्व है। धन प्राप्ति के मंत्र, अनुष्ठान व उपासना बेहद प्रभावी होते हैं। स्वर्ण, रजत, आभूषण, वस्त्र, वाहन और संपत्ति के क्रय के लिए मान्यताओं ने इस दिन को विशेष बताया और बनाया है। बिना पंचांग देखे इस दिन को श्रेष्ठ मुहुर्तों में शुमार किया जाता है।

Share this:




Related Updates


Latest Updates