Categories


MENU

We Are Social,
Connect With Us:

☀️
Error
Location unavailable
🗓️ Sun, Apr 6, 2025 🕒 3:02 PM

पुस्तक समीक्षा : सुराज संकल्प का ‘अमृतकाल’

पुस्तक समीक्षा : सुराज संकल्प का ‘अमृतकाल’

Share this:

पुस्तक : अमृतकाल में भारत

लेखक : प्रो. संजय द्विवेदी

मूल्य : 599 रुपये

प्रकाशक : यश पब्लिकेशंस, 4754/23, अंसारी रोड़, दरियागंज, नई दिल्ली-110002

मोदी सरकार के 9 वर्षों का मूल्यांकन करती एक किताब

लोकेंद्र सिंह, समीक्षक

भारतीय संस्कृति में कहा जाता है, ‘नयति इति नायक:’, अर्थात् जो हमें आगे ले जाए, वही नायक है। आगे लेकर जाना ही नेतृत्‍व की वास्‍तविक परिभाषा है। भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार वर्ष 2021 में 75वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान ‘अमृतकाल’ शब्द का इस्तेमाल किया था, जब उन्होंने अगले 25 वर्षों के लिए देश के लिए एक अद्वितीय रोडमैप को प्रस्तुत किया। अमृतकाल का उद्देश्य भारत के नागरिकों के जीवनशैली में गुणात्मक वृद्धि करना, गांवों और शहरों के बीच विकास में विभाजन को कम करना, लोगों के जीवन में सरकार के हस्तक्षेप को कम करना और नवीनतम तकनीक को अपनाना है।

भारत ने ‘अमृतकाल’ की अपनी यह स्वर्णिम यात्रा शुरू कर दी है। ऐसा कहे जाने का कारण है भारत सरकार द्वारा देश को एक प्रतिबद्ध कल्याणकारी राज्य बनाने के लिए पिछले कुछ वर्षों में लिए गए अभूतपूर्व निर्णय। देश के प्रख्यात पत्रकार, लेखक एवं वर्तमान में भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी ने अपनी पुस्तक ‘अमृतकाल में भारत’ के तहत, इसकी शुरुआत, अब तक की यात्रा, संभावित बाधाओं और भारतीय राष्ट्र को इसके सही स्थान पर ले जाने के लिए उठाए गए भविष्य के कदमों पर जोरदार ढंग से विचार किया है।

इस पुस्तक के माध्यम से प्रो. द्विवेदी ने यह बताने का प्रयास किया है आज जब हम अमृतकाल में प्रवेश कर चुके हैं, तब अगले 25 वर्ष हमारे देश के लिए कितने महत्‍वपूर्ण हैं। आने वाले 25 वर्षों में हमें अपना पूरा ध्यान अपनी शक्ति पर केंद्रित करना होगा। अपने संकल्‍पों पर केंद्रित करना होगा। अपने सामर्थ्‍य पर केंद्रित करना होगा। इसलिए लोकतंत्र एवं समाज, संवाद और संचार, विकास के आयाम, विज्ञान एवं तकनीक, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा और भाषा जैसे विषयों पर उनके द्वारा लिखे गए 25 लेख न सिर्फ नरेंद्र मोदी सरकार के पिछले 9 वर्षों के कामकाज का संक्षिप्त लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हैं, बल्कि भविष्य के भारत का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं।

नरेंद्र मोदी सरकार की योजनाओं के साथ-साथ प्रो. द्विवेदी एक ऐसे प्रधानमंत्री से भी हम सबका परिचय करवाते हैं, जो संवाद कला के महारथी हैं, विश्व के बड़े से बड़े नेता उनके संचार कौशल के प्रशंसक हैं, लेकिन जब अपने देश के बच्चों से बात करने का वक्त आता है, तो वही प्रधानमंत्री उनके साथ ‘परीक्षा पे चर्चा’ भी करते हैं। नरेंद्र मोदी का हृदय वंचितों और पीड़ितों के प्रति हमेशा संवेदना, करुणा और ममता से छलकता रहा है। नरेंद्र मोदी का भाव रहा है – ‘आत्मवत् सर्वभूतेषु’ तथा ‘परद्रव्येषु लोष्ठवत्’। हमेशा उनके तन-मन में, उनके मन-हृदय में एक ही बात घुमड़ती रहती है कि समाज के दुःख-दर्द कैसे दूर कर सकते हैं? एक कार्यकर्ता का हृदय कैसा होता है, यह नरेंद्र मोदी के हर कार्य-व्यवहार में देखने को मिलता है। वैष्णव जन का हृदय रखने वाले नरेंद्र मोदी ‘पीर पराई’ जानते हैं और यह उनका जन्मजात गुण है।

IMG 20230529 WA0001

प्रो. द्विवेदी की पुस्तक के अंतिम खंड में जब शिक्षा और सुरक्षा की बात आती है, तो उनके लेखों के माध्यम से यह पता चलता है कि भारत अब शासन के ऐसे रूप को देख रहा है, जिसमें बेरोकटोक कदम और साहसिक निर्णय लेने का चलन है। इसलिए पुस्तक की भूमिका में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लिखते हैं कि यह समय सही मायनों में भारत की ऊर्जा, सामूहिकता, पारस्परिकता और वैश्विक चेतना को प्रकट कर रहा है। पुस्तक के 25 लेख केवल सरकार की 25 योजनाओं के बारे में नहीं हैं, बल्कि इस बात को भी प्रमुखता से रखते हैं कि मोदी सरकार में नए विचारों को पूरा महत्व दिया गया है और पूरी ईमानदारी से लागू किया गया है।

ऐसे बहुत कम प्रधानमंत्री होते हैं, जो किसी भी योजना को लागू करने और उसकी देख-रेख की प्रक्रिया में ज्यादा समय देते हैं। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए यह साधारण बात है। भारत के राजनीतिक इतिहास में ऐसे उद्धरणों की कमी नहीं है, जहाँ इरादे नेक थे लेकिन उनका अमलीकरण ठीक से नहीं हो पाया। सरकार का दायित्व प्रधानमंत्री से शुरू होता है और उन्हीं पर समाप्त होता है, और जहाँ तक योजनाओं को लागू करने की बात है, प्रधानमंत्री मोदी अपनी जिम्मेदारी को बहुत तन्मन्यता से निभाते हैं।

लेखक प्रो. संजय द्विवेदी की यह पुस्तक उस समय की साहित्यिक रचना है, जब भारत परिवर्तन की गति से गुजर रहा है। हम सभी के प्रयासों से भारत आने वाले समय में और भी तेज गति से स्वर्णिम भारत की ओर बढ़ेगा। यही इस पुस्तक का संकल्प भी है और लक्ष्य भी।

(समीक्षक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में सहायक प्राध्यापक हैं।)

Share this:

Latest Updates