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समृद्धि की राह : एमएसएमई के लिए ऋण की सरल प्रक्रिया

समृद्धि की राह : एमएसएमई के लिए ऋण की सरल प्रक्रिया

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डॉ.ई.विजया

“Path to Prosperity: Simple Loan Process for MSMEs” : सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं क्योंकि वे देश के सतत विकास को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इस क्षेत्र की जीवंतता घरेलू और वैश्विक, दोनों बाजारों के लिए तैयार किए गए उत्पादों/सेवाओं की विस्तृत श्रृंखला में निहित है जो सरकारों/हितधारकों के नीतिगत समर्थन से लैस है। भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ होने के बावजूद, एमएसएमई क्षेत्र को ऋण की सहज उपलब्धता को लेकर महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ये चुनौतियां धन उधार लेने में अपनाई जाने वाली पारंपरिक कार्यप्रणालियों, तीव्र प्रतिस्पर्धा, ग्राहकों की कठिन प्राथमिकताओं और डिजिटल सुविधाओं की कमी के कारण पैदा होती हैं और इस क्षेत्र के विकास की राह में अतिरिक्त समस्याएं पेश करती हैं।

भारत सरकार का सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमओएमएसएमई) पिछले एक दशक से ऋण सहायता, तकनीकी सहायता, बुनियादी ढांचे के विकास, कौशल विकास और बाजार संबंधी सहायता से जुड़ी विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों के जरिए एमएसएमई क्षेत्र को समर्थन प्रदान करने और उन्हें विकसित करने हेतु सक्रिय रूप से विभिन्न नीतिगत उपायों को लागू कर रहा है। ये पहल भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एमएसएमई क्षेत्र की वृद्धि और स्थिरता की दृष्टि से अहम हैं।

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) योजना का उद्देश्य नए स्व-रोजगार उद्यमों/परियोजनाओं/सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना के जरिए देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करना है। शुरुआत के बाद से, पीएमईजीपी के तहत महिला उद्यमियों की कुल 2,59,339 परियोजनाओं को सहायता प्रदान की गई है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय के एनएसएस 73वें दौर के अनुसार, देश में अनुमानित रूप से कुल 1,23,90,523 महिला स्वामित्व वाले एमएसएमई हैं।

सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड योजना (सीजीटीएमएसई) एमएसएमई को दिए गए 500 लाख रुपये तक के गारंटी मुक्त ऋण के लिए गारंटी कवर प्रदान करती है, जिससे वित्तीय संस्थानों के लिए जोखिम कम हो जाता है। अब तक, सीजीटीएमएसई ने 82.28 लाख इकाइयों को 5.75 लाख करोड़ रुपये की राशि की गारंटी दी है, जिससे 2.14 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करने में मदद मिली है।

सीजीटीएमएसई ने एमओएमएसएमई के साथ मिलकर उद्योग जगत और ऋण देने वाले संस्थानों के बीच जागरूकता पैदा की है। सीजीटीएमएसई फंडिंग की मंजूरी के बाद के वर्षों में लाभार्थियों ने अपने कारोबार के साथ-साथ रोजगार सृजन में भी वृद्धि का अनुभव किया है। इसका एमएसई क्षेत्र के छह प्रमुख क्षेत्रों यानी प्रौद्योगिकी उन्नयन, कौशल उन्नयन, बाजार विकास, योजना की स्थिरता, आर्थिक प्रभाव और सामाजिक प्रभाव पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। यह इस बात से स्पष्ट है कि चालू वित्तीय वर्ष के दौरान, सीजीटीएमएसई ने 30 जनवरी 2024 को 10 महीने की अवधि में 1.5 लाख करोड़ रुपये की गारंटी की एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। पिछले साल की 1.04 लाख करोड़ रुपये की गारंटी की मंजूरी की तुलना में, यह सीजीटीएमएसई के संचालन में निरंतर व महत्वपूर्ण तेजी का संकेत देता है।

क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी और प्रौद्योगिकी उन्नयन योजना (सीएलसीएस-टीयूएस) को लीन मैन्यूफैक्चरिंग के जरिए अपशिष्ट में कमी लाकर, बेहतर डिजाइन के लिए समर्थन प्रदान कर, बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाकर, शून्य दोष शून्य प्रभाव (जेडईडी) योजना को अपनाकर, डिजिटल एमएसएमई के जरिए एमएसएमई का डिजिटल सशक्तिकरण कर और देश भर में इनक्यूबेशन के जरिए विनिर्माण के साथ-साथ ज्ञान आधारित नवाचार एमएसएमई में नवीनतम प्रौद्योगिकियों को अपनाकर और व्यक्ति विशेष की अप्रयुक्त रचनात्मकता को बढ़ावा व समर्थन देकर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने हेतु कार्यान्वित किया जा रहा है। 

फिनराइज: टिकाऊ उद्यमों के लिए वित्तीय अनुसंधान एवं नवाचार को 24 जनवरी 2024 को नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एमएसएमई (एनआई-एमएसएमई) में सिडबी और सीजीटीएमएसई के संयुक्त वित्तीय समर्थन के साथ लॉन्च किया गया था ताकि एमएसई की ऋण संबंधी साख को बढ़ाने और वित्तीय ज्ञान एवं सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को लोकतांत्रिक बनाकर, एमएसई इकोसिस्टम में वित्तीय अनुशासन एवं विवेक को विकसित कर एमएसई के बीच प्रशासन एवं वित्तीय प्रबंधन को बढ़ावा देने से जुड़ी जरूरतों को पूरा करने में उत्कृष्टता केन्द्र के रूप में कार्य किया जा सके।

सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट द्वारा संचालित अनौपचारिक सूक्ष्म उद्यमों के लिए एक विशेष योजना भारत सरकार के एमएसएमई मंत्री श्री नारायण राणे द्वारा 14 फरवरी, 2024 को उत्तर प्रदेश में चार प्रौद्योगिकी केन्द्रों के उद्घाटन के दौरान शुरू की गई। यह योजना सूक्ष्म/नैनो उद्यमों को 20.0 लाख रुपये तक के ऋण प्रदान करेगी और इसका उद्देश्य क्रेडिट जोखिम धारणा को कम करना है और ऋण देने वाले संस्थानों को आईएमई को ऋण देने के लिए प्रेरित करना है। जैसे-जैसे यह पहल आगे बढ़ेगी, इससे न सिर्फ व्यक्तिगत उद्यमियों को सशक्त बनाने की उम्मीद है बल्कि एक समावेशी, गतिशील और सुदृढ़ आर्थिक इकोसिस्टम भी तैयार होगा।

इसके अलावा सरकार ने देश में एमएसएमई के लिए ऋण की उपलब्धता को सुविधाजनक बनाने हेतु वर्तमान में जारी योजनाओं सहित कई उपाय किए हैं। उनमें से कुछ उपाय निम्नलिखित हैं: प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के तहत लाभ प्राप्त करने हेतु अनौपचारिक सूक्ष्म उद्यमों (आईएमई) को एमएसएमई के औपचारिक दायरे में लाने हेतु 11 जनवरी 2023 को उद्यम असिस्ट प्लेटफॉर्म का शुभारंभ;

प्राथमिकता क्षेत्र ऋण लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से खुदरा और थोक व्यापारियों को 02 जुलाई 2021 से एमएसएमई के रूप में शामिल करना; एमएसएमई की हैसियत में ऊपर की ओर बदलाव होने की स्थिति में गैर-कर लाभों को तीन साल के लिए बढ़ाया गया। इलेक्ट्रॉनिक रूप से विविध फाइनेंसरों के जरिए सरकारी विभागों एवं पीएसयू सहित कॉरपोरेट तथा अन्य खरीदारों से एमएसएमई के व्यापार प्राप्तियों के वित्तपोषण को सुविधाजनक बनाने हेतु ट्रेड रिसीवेबल डिस्काउंटिंग सिस्टम (टीआरईडीएस); आत्मनिर्भर भारत कोष के जरिए 50,000 करोड़ रुपये का इक्विटी निवेश। इस योजना में भारत सरकार की ओर से 10,000 करोड़ रुपये के कोष का प्रावधान है; पांच वर्षों में 6,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एमएसएमई के प्रदर्शन को बढ़ाने और तेज करने (आरएएमपी) की योजना का शुभारंभ। 

भारत सरकार का एमएसएमई मंत्रालय गारंटी मुक्त ऋण की सहायता प्रदान करने जैसी रचनात्मक योजनाएं शुरू करके एमएसई की विकास यात्रा में उनका साथ देने के प्रति दृढ़प्रतिज्ञ है और साथ ही अनगिनत उद्यमियों के सपनों को सशक्त बनाने एवं उनके प्रयासों का समर्थन करने की आकांक्षा रखने वाली विभिन्न रणनीतियों व क्षमताओं को बढ़ावा देने के प्रति समर्पित है।

(लेखिका हैदराबाद के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एमएसएमई (एनआई-एमएसएमई) की

संकाय-सदस्य हैं। )

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