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अपशगुन दूर कर ऐश्वर्य पाना है तो जाएं वरदराज पेरुमल मंदिर में, शांति की…

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visit varadraj perumal temple to get glory and remove evil : ऐश्वर्य पाने व अपशकुन दूर करने को जाएं वरदराज पेरुमाल मंदिर। कांचीपुरम के विशालतम मंदिरों में से एक है यह मंदिर। इसमें भगवान विष्णु की कई प्रतिमाएं हैं। सबसे आकर्षक है 40 फीट गूलर की लकड़ी की मूर्ति। भक्तों का इनका दर्शन 40 साल में एक बार होता है। इस दौरान धार्मिक कारणों से काफी समय पानी में रहती है। चमत्कार ही कहेंगे कि उससे मूर्ति को कई नुकसान नहीं होता है। 10 फीट की ग्रेनाइट की मूर्ति का भक्तों को आम दिनों में दर्शन होता है। यहां भगवान विष्ण को देवराज स्वामी के रूप में पूजा जाता है। शहर से बाहर स्थित यह मंदिर हस्तगिरी की पहाड़ियों पर है। एक हजार साल पहले बना मंदिर 23 एकड़ मे फैला है। मंदिर में सौ खंभों वाला हाल भी आकर्षण का केंद्र है।

चोल राजाओं ने एक हजार साल पहले बनवाया मंदिर

वरदराज पेरुमाल मंदिर को सन 1053 में चोल राजाओं ने बनवाया था। बाद में राजा विक्रम चोल ( 1118- 1135) ने इसका पुनरुद्धार करवाया। कई राजाओं व गणमान्य लोगों ने इसमें योगदान दिया। मंदिर में कुल पांच चौबारे हैं। पृष्ठ भाग में एक विशाल सरोवर भी है। इसमें विष्णु के अलावा पेरुनदेवी (लक्ष्मी), भृगु व ब्रह्मा समेत कई देवताओं की भी मूर्तियां हैं। मंदिर में कुल 24 सीढिय़ां हैं। ये गायत्री मंत्र का प्रतीक हैं। दूर से ही मंदिर का विशाल गुंबद दिखने लगता है। यह 96 फीट ऊंचा है। यहां श्रद्धालु सोने और चांदी की बनी छिपकली की भी पूजा करते हैं। माना जाता है कि इनकी पूजा से कई तरह के अपशकुन कट जाते हैं। घर में वैभव और ऐश्वर्य आता है। इससे मानसिक शांति और सुरक्षा भी मिलती है। ऐश्वर्य पाने व अपशकुन दूर करने के लिए भी जाना जाता है।

विशाल कल्याण मंडपम

मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर विशाल गोपुरम बना है। बाद में इसे सफेद रंग से रंगा गया है। इस गोपुरम की ऊंचाई 160 फीट है। इसके अंदर प्रवेश करते हुए आपको दिखाई देता है 96 स्तम्भों वाला एक हॉल जिसे कल्याण मंडपम कहा जाता है। इस हॉल को विजयनगर के राजाओं ने बनवाया था। इसका आधार तल दो मीटर ऊंचा है। इस हाल के प्रत्येक स्तंभ पर शानदार नक्काशी की गई है। इस नक्काशी लोग घंटों निहारते रह जाते हैं। इन स्तंभो पर खास तौर पर घोड़े दिखाई देते हैं। इन्हें देखकर यह प्रतीत होता है कि 11वीं सदी में वास्तुकला कितनी समृद्ध रही होगी और कलाकारों ने अपने शिल्प का कितना उत्कृष्ट देने की कोशिश की होगी। भव्य और विशालकाय वरदराज पेरुमल मंदिर दक्षिण भारतीय कारीगरों की कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह मंडप 575 वर्ग मीटर में फैला हुआ है।

सालाना उत्सव मई-जून में

हर साल मई-जून में मनाया जाने वाला गरुड़ोत्सव इस मंदिर का प्रमुख त्योहार है। यह काफी रंगीन व आकर्षक तरीके से मनाया जाता है। इस दौरान मंदिर की भव्य सजावट की जाती है। इस समय हज़ारों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। यह देश भर से विष्णु भक्तों को बरबस अपनी ओर खींचता है। वहीं दिसंबर जनवरी के मध्य मंदिर में वैकुंठ एकादशी मनाई जाती है। कई वैष्णव संतों ने वरदराज पेरूमाल की स्तुतियां अपने तमिल भजनों में गाई है। मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। सोने-चांदी की बनी छिपकली की पूजा से अपशकुन दूर होते हैं।

कैसे पहुंचें

चेन्नई से सहित प्रमुख स्टेशनों से कांचीपुरम तक ट्रेन से पहुंच सकते हैं। कांचीपुरम पूरब स्टेशन से वरदराज पेरुमाल मंदिर की दूरी छह किलोमीटर है। कांचीपुरम बस स्टैंड से पांच किलोमीटर दूर है। मंदिर के मार्ग में ऊंची चढ़ाई है। आसपास छोटा सा बाजार भी है। मंदिर सुबह छह से 11 और शाम को चार से आठ बजे तक खुलता है।

साभार- विद्युत प्रकाश मौर्य, parivartankiawaj.com की सहायता से।

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