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पितृदोष लगने के कारण क्या हैं…? इससे मुक्ति के लिए अवश्य करें ये छह सरल उपाय !!

पितृदोष लगने के कारण क्या हैं…? इससे मुक्ति के लिए अवश्य करें ये छह सरल उपाय !!

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Gaya news : पितृपक्ष में पितृदोष से मुक्ति के लिए पितरों का तर्पण, श्राद्ध जरूर करना चाहिए। साथ ही, शाम के समय घर की दक्षिण दिशा में दीया भी जरूर जलाना चाहिए। इन सरल उपायों से न केवल पितृदोष से मुक्ति मिलती है, बल्कि पितर खुश भी होते हैं। इससे आपके जीवन की सभी बाधाएं दूर होने लग जाती हैं। कोई व्यक्ति अगर पितृदोष से पीड़ित रहता है, तो वह कई बीमारियों का शिकार बना रहता है। साथ ही, करियर में मेहनत के बाद भी उसे सफलता नहीं मिल पाती। पौराणिक मान्यता है कि जिस तरह भगवान की कृपा के बिना व्यक्ति जीवन में तरक्की नहीं कर सकता, उसी तरह यदि आपके पितर आपसे नाराज हैं, तो भी आपके कार्यों में कोई न कोई रुकावट आती ही रहती है। इसके अलावा यदि आप बार-बार पितरों की अवेहलना करते हैं, तो आप पर पितृदोष भी लग सकता है। आइए, जानते हैं कि पितृदोष कैसे लगता है और पितृदोष के लक्षण और पितृदोष से मुक्ति के क्या उपाय हैं…

पितृदोष कैसे लगता है और पितृदोष लगने के मुख्य कारण

  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितृदोष लगने के कई कारण हो सकते हैं। इसका सबसे पहला कारण यह होता है कि यदि किसी के घर में किसी सदस्य की अकाल मृत्यु हो जाती है और उसका अंतिम संस्कार या तर्पण विधि-विधान के साथ नहीं किया जाता, तो उस व्यक्ति की आत्मा भटकती रहती है और मृत हो चुका व्यक्ति परलोक में भी दुख उठाता है। उसके मन के दुख और नाराजगी के कारण घर के सदस्यों ; विशेषकर घर के मुखिया को पितृदोष का सामना करना पड़ता है।
  • पितृदोष लगने का दूसरा बड़ा कारण यह है कि कई कारणों से कुंडली में भी पितृदोष लग जाता है। किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में यदि दूसरे भाव, आठवें भाव और दसवें भाव में सूर्य के साथ केतु है, तो पितृ दोष बनता है। पितृदोष से मुक्ति के लिए उपाय न किये जायें, तो यह पीढ़ी दर पीढ़ी तक चलता रहता है। ऐसे में पितरों को मनाने के लिए उनका श्राद्ध, तर्पण, हवन-पूजा जैसे धार्मिक अनुष्ठान जरूर करने चाहिए। पितृदोष के लक्षण क्या हैं, आइए जान लेते हैं…

खाना खाते समय हमेशा खाने में कुछ गंदगी पड़ जाना

  • पितृपक्ष में यह लक्षण बहुत ही मुख्य है। खाना बनाने में स्वच्छता के सभी नियमों का पालन करने के बाद भी यदि खाना खाते समय आपके खाने में कुछ न कुछ पड़ ही जाता है, तो यह भी एक पितृदोष का लक्षण हो सकता है। खाने में बाल, कंकड़-पत्थर, कीट आदि निकलना भी पितृदोष का एक लक्षण है।

घर में हमेशा किसी का बीमार रहना

  • घर में हमेशा किसी व्यक्ति का बीमार रहना भी पितृदोष का एक लक्षण है। सेहत का ख्याल रखने के बाद भी यदि आपके घर में कोई व्यक्ति हमेशा बीमारी से पीड़ित रहता है या किसी को बहुत समय से कोई गम्भीर बीमारी है, तो यह पितृदोष का एक लक्षण है।

संतान सुख से वंचित रहना

  • कई दम्पति ऐसे होते हैं, जो संतान प्राप्त करना चाहते हैं और उसके लिए प्रयास भी करते हैं, लेकिन उन्हें कोई मेडिकल कंडीशन न होने के बाद भी संतान सुख नहीं मिल पाता है। वहीं, कई बार बच्चे का जन्म सही प्रकार से हो जाता है, लेकिन बच्चा जन्म लेते ही मर जाता है। ज्योतिष शास्र में इसे भी पितृदोष का एक लक्षण माना गया है।

पितृदोष से मुक्ति के लिए सरल उपाय

  • पितृदोष दूर करने के लिए सबसे पहले आपको पितृपक्ष में अपने पितरों का श्राद्ध करना चाहिए। उनका श्राद्ध, तर्पण करने से पितरों की आत्मा को मुक्ति मिलती है और आपको भी पितृदोष से छुटकारा मिलता है।
  • पितरों को प्रसन्न करने के लिए पितृपक्ष में पीपल के पेड़ में काला तिल डला हुआ दूध चढ़ायें। साथ ही, अक्षत और फूल अर्पित करके पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।

पितृदोष से मुक्ति के लिए अमावस्या पर अवश्य करें दान

  • पितृपक्ष में रोजाना शाम के समय घर की दक्षिण दिशा में दीपक जलाना चाहिए। इससे भी पितृदोष दूर होता है और आपके जीवन की सभी बाधाएं दूर होने लग जाती हैं।
  • पितृपक्ष में दोपहर के समय पीपल के वृक्ष की पूजा करें। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और आपको पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
  • पितृपक्ष के अलावा भी आपको पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए प्रत्येक अमावस्या पर पितरों का तर्पण करके उनके नाम पर दान-पुण्य और सामर्थ्य अनुसार भोज का आयोजन करना चाहिए। साथ ही, जीव-जंतु जैसे, कुत्ता, गाय, कौए को अन्न जरूर खिलायें।
  • पूर्वजों की फोटो को घर की दक्षिण दिशा में लगानी चाहिए। दक्षिण दिशा को यमलोक की दिशा माना जाता है। रोजाना पूर्वजों की फोटो साफ करके इस पर फूलों की माला चढ़ा कर अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगनी चाहिए।

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