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जो सिल्वर स्क्रीन पर नहीं दिखता, उस चिराग की रोशनी देखिए तो पता चलेगा…

जो सिल्वर स्क्रीन पर नहीं दिखता, उस चिराग की रोशनी देखिए तो पता चलेगा…

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मुंबई : हम सिनेमा हॉल में फिल्में देखते हैं, तो खास तौर पर एक्टर, एक्ट्रेस और कहानी के प्रवाह में खो जाते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि फिल्मों में एक-एक सीन और एक-एक इंसीडेंट का फाइनल टेक जिस शख्स द्वारा निर्धारित किया जाता है, वह फिल्म का निर्देशक होता है। हर कोई उसके इशारे पर नाचता है। चाहे वह एक्टर-एक्ट्रेस हो या गीतकार-संगीतकार और एडिटर। इस दृष्टि से यदि हम भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को देखें तो याद आएंगे सत्यजीत राय, विमल राय, ऋषिकेश मुखर्जी, बीआर चोपड़ा और यश चोपड़ा जैसे निर्देशक और इसी कड़ी में आते हैं शक्ति सामंत। आज हम शक्ति सामंत के निर्देशन की जानकारी आपको दे रहे हैं। याद रखिए, सिल्वर स्क्रीन पर जो नहीं दिखाई देता है, उसे चिराग की रोशनी का ही असली नाम है डायरेक्टर।

अपने डायरेक्शन के कमल के लिए जाने जाते हैं शक्ति सामान

किसी एक्टर को सुपरस्टार बनाना हो या उसकी एक अलग स्पेशल पहचान देनी हो तो उसमें सबसे बड़ी भूमिका डायरेक्टर की ही होती है। शक्ति सामंत के बारे में कहा जाता है कि एक तरफ उन्होंने अपने जमाने के आला अभिनेता राजेश खन्ना को सुपरस्टार बनाया तो शम्मी कपूर को पोस्टर बॉय बनाने में बड़ी भूमिका निभाई। आपने राजेश खन्ना की आराधना फिल्म देखी और उसमें एक गीत है पूरी होगी तेरी आराधना। इस गीत के एक-एक सीन में कमाल का डायरेक्शन दिखाई पड़ता है। इसी कमाल के डायरेक्शन के लिए जाने जाते हैं शक्ति सामंत।

शक्ति सामंत की नामी फिल्में

बहू फिल्म से अपने डायरेक्शन की शुरुआत करने वाले शक्ति सामान ने साल 1955 में इंस्पेक्टर फिल्म की थी। यह थ्रिलर जॉनर की फिल्म थी। फिल्म में अशोक कुमार, गीता बाली और प्राण मुख्य किरदारों में दिखे। 1958 में ए हावड़ा ब्रिज, 1962 में चाइना टाउन, 1964 में कश्मीर की कली फिल्म आई थी। इन फिल्मों में शक्ति सामान्य ने अपने डायरेक्शन से अपने को आल्हा दर्जे का निर्देश साबित किया। 1967 में एन इवनिंग इन पेरिस एक यह एक रोमांटिक थ्रिलर फिल्म है। फिल्म में शम्मी कपूर और शर्मिला टैगोर डबल रोल में नजर हैं। दोनों से शक्ति सामंत में बेहतरीन एक्टिंग कराई है।

सुपरहिट रही थी आराधना

कहा जाता है कि शक्ति सामंत ने राजेश खन्ना को फिल्म अराधना के अंदर एक बड़ा मौका दिया। इस फिल्म के बाद राजेश खन्ना ने कभी पलट कर नहीं देखा और उन्हें इंडस्ट्री के पहले सुपरस्टार का तमगा भी हासिल हुआ। 1970 में कटी पतंग और 71 में अमर प्रेम ने तो निर्देशन का जैसे झंडा ही गाड़ दिया। 1975 में आई अमानुष फिल्म यह एक एक्शन ड्रामा फिल्म है, जिसमें शर्मिला टैगोर, उत्तम कुमार और उत्पल दत्त नजर आए थे। उस फिल्म का गीत याद कीजिए- दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा, बर्बादी की तरफ उसने मोड़ा, एक भले मानुष को अमानुष बनाके छोड़ा। आज भी सुनने वालों के हृदय में स्थाई रूप से यह गीत महत्व रखता है। इसके डायरेक्शन में शक्ति सामान के डायरेक्शन की बारीकी महसूस की जा सकती है।

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