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KNOWLEDGE OF LIFE : जीवन की दशा-दिशा समझनी हो तो जन्मकुंडली के अहम योग की इस तरह रखें जानकारी…

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Beneficial yoga of janamkundali , dharm, religious, Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, jyotish Shastra, dharmik totke, dharm adhyatm: जन्मकुंडली में बनने वाले कुछ योग आपके जीवन की दिशा व दशा दोनों ही बदल सकते हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ योग के बारे में। आप चाहे तो यहां दी गई जानकारी से अपनी कुंडली मिला कर खुद ही देख सकते हैं। हालांकि सटीक जानकारी के लिए योग्य ज्योतिषी से सलाह लें। ध्यान रहें कि संबंधित योग के साथ यदि कुंडली में अन्य ग्रह भी मजबूत स्थिति में हों तो परिणाम को प्रभावित कर देते हैं।

1- रूचक योग

अगर जन्मकुंडली  में मंगल अपनी राशि का होकर मूल त्रिकोण में, या उच्‍च राशि का होकर केंद्र में स्थित हों, तो उसे रूचक योग कहा जाएगा।

निष्कर्ष – रूचक योग में जन्‍म लेनेवाला व्‍यक्ति बहुत ही प्रभावशाली होता है। ऐसे योग वाला उच्‍चाधिकारी होता है। इनकी आर्थिक स्थिति भी मज़बूत होती है। ऐसा व्यक्ति अपने देश की सभ्‍यता-संस्‍कृति के प्रति पूर्ण जागरूक रहता है और उसके विकास के लिए काम करता है।

2- भद्र योग

अगर जन्मकुंडली में बुध अपनी राशि का होकर मूल त्रिकोण में अथवा उच्‍च राशि का होकर केंद्र में स्थित है तो भद्र योग कहा जाता है।

निष्कर्ष – भद्र योग में जन्‍म लेनेवाला व्यक्ति अत्यधिक पराक्रमी, प्रभावशाली औक तेज़ बुद्धि वाला होता है। ऐसा मनुष्य धीमी गति से जीवन में आगे बढ़ता है। धीरे-धीरे प्रगति करते हुए सर्वोच्‍च स्‍थान प्राप्‍त करता है।

जन्मकुंडली के अहम योग जो तय करते हैं जीव

जन्मकुंडली के अहम योग

Beneficial yoga of janamkundali : जन्मकुंडली में बनने वाले कुछ योग आपके जीवन की दिशा व दशा दोनों ही बदल सकते हैं। आइये जानते हैं ऐसे ही कुछ योग के बारे में। आप चाहे तो यहां दी गयी जानकारी से अपनी कुंडली मिला कर खुद ही देख सकते हैं। हालांकि सटीक जानकारी के लिए योग्य ज्योतिषी से सलाह लें। ध्यान रहें कि संबंधित योग के साथ यदि कुंडली में अन्य ग्रह भी मजबूत स्थिति में हो तो परिणाम को प्रभावित कर देते हैं।

1- रूचक योग

अगर जन्मकुंडली  में मंगल अपनी राशि का होकर मूल त्रिकोण में, या उच्‍च राशि का होकर केंद्र में स्थित हों, तो उसे रूचक योग कहा जाएगा।

निष्कर्ष – रूचक योग में जन्‍म लेनेवाला व्‍यक्ति बहुत ही प्रभावशाली होता है। ऐसे योग वाला उच्‍चाधिकारी होता है। इनकी आर्थिक स्थिति भी मज़बूत होती है। ऐसा व्यक्ति अपने देश की सभ्‍यता-संस्‍कृति के प्रति पूर्ण जागरूक रहता है और उसके विकास के लिए काम करता है।

2- भद्र योग

अगर जन्मकुंडली में बुध अपनी राशि का होकर मूल त्रिकोण में अथवा उच्‍च राशि का होकर केंद्र में स्थित है तो भद्र योग कहा जाता है।

निष्कर्ष – भद्र योग में जन्‍म लेनेवाला व्यक्ति अत्यधिक पराक्रमी, प्रभावशाली औक तेज़ बुद्धि वाला होता है। ऐसा मनुष्य धीमी गति से जीवन में आगे बढ़ता है। धीरे-धीरे प्रगति करते हुए सर्वोच्‍च स्‍थान प्राप्‍त करता है।

 3- हंस योग

जन्मकुंडली में अगर बृहस्‍पति अपनी राशि का होकर मूल त्रिकोण में अथवा उच्‍च राशि का होकर केंद्र में स्थित है तो ऐसे योग को हंस योग कहा जाता है।

निष्कर्ष – हंस योग में जन्‍म लेनेवाला व्‍यक्ति सुंदर, आकर्षक, अच्छे व्‍यक्तित्‍व वाला तथा मधुरभाषी होता है। ऐसे लोग न्यायिक क्षेत्र में सफल करियर बनाते हैं। अच्छे वकील यो जज बनते हैं।

4- मालव्य योग

जन्मकुंडली में अगर शुक्र अपनी राशि का होकर मूल त्रिकोण में अथवा उच्‍च राशि का होकर केंद्र में स्थित हो तो ऐसे में इसे मालव्य योग कहा जाएगा ।

निष्कर्ष – मालव्य योग वाला व्‍यक्ति दिमागी रूप से मजबूत होता है। सफल कवि, चित्रकार, कलाकार या नृत्‍यकार की कुंडली में आमतौर पर ऐसे योग होते हैं। वे देश-विदेश में नाम कमाते हैं।

5- शश योग

आपकी जन्मकुंडली में शनि अपनी राशि का होकर मूल त्रिकोण या उच्‍च राशि का होकर केंद्र में स्थित हो तो इसको शश योग कहा जाएगा।

निष्कर्ष – शश योग वाले व्‍यक्ति साधारण परिवार में जन्‍म लेकर ऊंचाई पर पहुंचते हैं। यदि रातजीनि में गए तो बड़े राजनीतिज्ञ होते हैं।

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