Health tips, Lifestyle, kurmasan : कुर्मासन संस्कृत शब्द ‘कूर्म’ से निकला है जिसका अर्थ होता है कछुआ। इसलिए इस आसन को कछुआ योग कहते हैं। इस आसन को करने से मनुष्य खुद को मानसिक समस्याओं से ठीक उसी प्रकार दूरी कर लेता है, जिस प्रकार एक कछुआ संकट आने पर खुद को अपने कवच में छुपा लेता है। इस आसन को रोजाना करते रहने से आप मानसिक रूप से स्वस्थ होने लगते हैं।
यह आसन शुगर, पेट की गैस और कब्ज जैसे रोगों से राहत दिलाता है। इससे रीढ़ की हड्डी में रक्त-संचार बढ़ता है, तंत्रिकाएं शांत होती हैं और सिर एवं गर्दन का दर्द दूर होता है। यह आसन मासिकता को शांत करता है और धैर्य को बढ़ाता है। इस आसन को करने से वासना, डर और गुस्सा कम होता है। इस आसन को करते रहने से शरीर और मन को नयी शक्ति प्राप्त होती है।
कुर्मासन करने की विधि
पैरों को सामने फैलाकर जमीन पर बैठ जाएं। पंजों को जितना संभव हो दूर-दूर फैला लें। एड़ियों को जमीन के सम्पर्क में रखते हुए घुटनों को थोड़ा मोड़ लें। कूल्हों से सामने की ओर झुकें और हाथों को घुटनों के नीचे रखें। हथेलियां ऊपर की ओर रखें या नीचे की ओर भी रख सकते हैं। कुछ और आगे झुकें और धीरे-धीरे भुजाओं को पैरों के नीचे से पीछे की ओर ले जाएं।
क्षमता अनुसार आप घुटनों को और मोड़ सकते हैं। हाथों को पीछे की और बढ़ाते जाएं। जब तक कि कोहनियां घुटनों के पीछे के भाग के निकट ना आ जाएं। पीठ की पेशियों में तनाव न आने दें। धीरे से एड़ियों को आगे की ओर ले जाएं और पैरों को अधिक से अधिक सीधा करें। हाथों और पैरों पर दबाव पड़ने के कारण शरीर अपने आप आगे की ओर झुकने लगेगा।
आराम-आराम से शरीर को आगे की तरफ झुकाएं। तब तक झुकाएं जब आपकी ठोड़ी जमीन को न छू लें। आगे शरीर को करते समय किसी प्रकार का बल प्रयोग न लगाएं। हाथों को पीठ के चारों ओर लपेट लें और कूल्हों के पीछे दोनों हाथों की उंगलियों को फंसा लें। पूरे शरीर को आराम दें, आंखें बंद कर लें और धीरे-धीरे सांस लेते रहें। जितना संभव हो उतना इस अवस्था को बनाये रखें। फिर पुरानी अवस्था में वापस आ जाएं।
कुर्मासन करने के दौरान ये सावधानी बरतें
स्लिप डिस्क, साइटिका, हर्निया या जोड़ों के पुराने दर्द के रोगियों को यह आसान नहीं करना चाहिए। इस आसान को करने का प्रयास तभी करें जब रीढ़ की हड्डी बेहद लचीली हो। जिन लोगों को कंधे, कूल्हों और कोहनियों की समस्या हो वो इस आसन को न करें



