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25वीं रामार्चा पूजा आज से, 11 को रुद्राभिषेक और महाप्रसाद वितरण

25वीं रामार्चा पूजा आज से, 11 को रुद्राभिषेक और महाप्रसाद वितरण

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यह पूजा अपनी आमदनी के बचे हुए पैसे से करता हूं, कोई मदद नहीं लेताः सरयू राय

Jamshedpur news : गुरुवार को गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर बिष्टुपुर में रामार्चा पूजा आयोजित की जा रही है। यह पूजा जे. 42, बिष्टुपुर में आयोजित होगी। यह रामार्चा पूजा का 25वां साल है। पूजा 10 और 11 जुलाई को आयोजित है। 10 जुलाई की सुबह 8 बजे से पूजा प्रारंभ हो जाएगी। 11 जुलाई की सुबह 8 बजे रुद्राभिषेक होगा। रुद्राभिषेक संपन्न होने के ठीक बाद मिलानी हॉल में प्रसाद का वितरण होगा। पूजा की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। यह जानकारी जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने यहां आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में दी।

श्री राय ने संवाददाताओं से कहा कि रामार्चा पूजा अय़ोध्या जी से निकली है। वहां से निकल कर यह देश के अन्य हिस्सों में गई। एक सवाल के जवाब में श्री राय ने कहा कि वह रामार्चा पूजा शत प्रतिशत अपनी आमदनी से हुई बचत से ही करते हैं। इस पूजा में अपना ही संसाधन लगाते हैं। किसी का सहय़ोग नहीं लेते। सनातनी परंपरा से लोगों का परिचय कराना इसका बड़ा मकसद है।

श्री राय ने कहा कि अब जमशेदपुर के लोगों के मन में यह बात रहती है कि गुरु पूर्णिमा के दिन रामार्चा पूजा होती है और श्रावण मास के प्रथम दिन प्रसाद का वितरण होता है, उन्हें इस आयोजन में शरीक होना है। बड़ी संख्या में लोग पूजा में हिस्सा लेते हैं और प्रसाद भी ग्रहण करते हैं।

एक सवाल के जवाब में श्री राय ने कहा कि रामार्चा पूजा में भगवान राम और उनके सभी सहयोगियों की पूजा होती है। ये वो सहयोगी होते हैं, जो भगवान श्री राम के वनवास के दौरान लंका पर आक्रमण कर माता सीता को लाने में जुटे हुए थे। इसके अतिरिक्त मां काली और शंकर भगवान की भी इसमें विशेष पूजा होती है। भगवान राम के साथ विभीषण, अंगद, जाम्बवंत, भगवान हनुमान की भी पूजा होती है। राजा दशरथ और उनके परिवार के भी सभी लोगों की पूजा होती है। पूजा सात से आठ घंटे लंबी चलती है। इस पूजा के माध्यम से भगवान राम के प्रति अपने हृदय की उत्कंठा उनके सामने व्यक्त करने और प्रभु का मर्यादा पुरुषोत्तम का जो आचरण है, उसे समाज-जीवन में उतारने का प्रयास पूजा का उद्देश्य है।

उन्होंने बताया कि 11 जुलाई को रुद्राभिषेक का आयोजन है। रुद्राभिषेक के उपरांत बक्सर के कारीगरों द्वारा विशेष रुप से बनाए गये हाथीकान पूड़ी (हाथी के कान की आकार की पूड़ी) और सब्जी आदि का प्रसाद बंटता है। सभी से आग्रह है कि वे पूजा में जरूर आएं और अगले दिन, यानी 11 जुलाई को प्रसाद अवश्य ही ग्रहण करें।

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