दोस्ती की नयी इबारत लिखने की तैयारी, जापान के बाद तियानजिन पहुंचे पीएम मोदी
Tianjin News : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ऐतिहासिक यात्रा पर चीन पहुंच चुके हैं। वह 31 अगस्त को तियानजिन शहर में होनेवाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के 25वें शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेनेवाले हैं। यह यात्रा 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद उनकी पहली चीन यात्रा है और इस यात्रा को भारत-चीन सम्बन्धों में सुधार की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह दौरा 01 सितम्बर तक चलेगा और इसमें क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी सहयोग, और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने जैसे अहम मुद्दों पर कई देशों के राष्ट्रअध्यक्ष के बीच चर्चा की जायेगी।
बात दें कि प्रधानमंत्री मोदी 07 साल बाद चीन यात्रा पर पहुंचे हैं। 2018 में उन्होंने उनकी आखिरी बार चीन की यात्रा की थी। यह दौरा तब हो रहा है जब भारत और चीन, 2020 के गलवान घाटी में हुए सैन्य टकराव के बाद तनाव कम करने की दिशा में कदम उठा रहे हैं। पिछले साल अक्टूबर 2024 में रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात ने दोनों देशों के बीच सम्बन्धों में सुधार की नींव रखी थी। विदेश मंत्रालय ने बताया कि सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी कई नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करनेवाले हैं। इसमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ मुलाकात भी होगी।
एसीओ की स्थापना 2001 में हुई थी और इसके 10 सदस्य देश हैं, जिसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस शामिल हैं। इस साल का शिखर सम्मेलन तियानजिन में 31 से 01 सितम्बर तक आयोजित हो रहा है। इस अब तक का सबसे बड़ा एसीओ सम्मेलन माना जा रहा है। इसमें 20 से अधिक देशों के नेता और 10 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख हिस्सा ले रहे हैं।
सम्मेलन का मुख्य एजेंडा क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी सहयोग, और आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देना है। भारत ने विशेष रूप से सीमा पार आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाने की बात कही है। विदेश मंत्रालय के सचिव तन्मय लाल ने कहा कि एससीओ का उद्देश्य आतंकवाद, उग्रवाद, और अलगाववाद से लड़ना है, और भारत चाहता है कि सभी सदस्य देश इस मुद्दे पर एक साझा बयान जारी करें।
पीएम मोदी की यह चीन यात्रा तब हो रही है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर रूसी तेल और हथियारों की खरीद के कारण 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाया है। ट्रम्प ने ब्रिक्स देशों पर भी निशाना साधा है, जिसमें भारत और चीन दोनों शामिल हैं। इस पृष्ठभूमि में एससीओ समिट को वैश्विक मंच पर अमेरिकी नीतियों के जवाब के रूप में भी देखा जा रहा है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह सम्मेलन भारत, चीन, और रूस को एकजुट होकर वैश्विक दक्षिण के हितों को बढ़ावा देने का मौका देगा। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि चीन पीएम मोदी का सम्मेलन में स्वागत करता है और उम्मीद करता है कि यह समिट दोस्ती, एकता, और सहयोग की मिसाल बनेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने जापान के अपने समकक्ष शिगेरु इशिबा को दिया धन्यवाद ; सोशल मीडिया पर कहा : जापान की यह यात्रा उपयोगी परिणामों के लिए याद रखी जायेगी
प्रधानमंत्री मोदी ने जापान के अपने समकक्ष शिगेरु इशिबा को धन्यवाद देते हुए सोशल मीडिया पर कहा कि जापान की यह यात्रा उन उपयोगी परिणामों के लिए याद रखी जायेगी, जिनसे हमारे देश के लोगों को लाभ होगा। मोदी ने कहा, “मैं प्रधानमंत्री इशिबा, जापानी जनता और सरकार को उनकी गर्मजोशी के लिए धन्यवाद देता हूं।”
अपनी यात्रा के दूसरे दिन प्रधानमंत्री मोदी ने जापान की सेमीकंडक्टर क्षमताओं का अवलोकन किया, एआई सहयोग पर चर्चा की तथा रणनीतिक तकनीक तथा प्रतिभा सम्बन्धों को मजबूत किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान जापानी प्रधानमंत्री इशिबा को उपहार स्वरूप आंध्र प्रदेश से प्राप्त मूनस्टोन से बने पारम्परिक रेमन बाउल और राजस्थान की पारम्परिक शैली से सजे चॉपस्टिक भेंट किये। वहीं, इशिबा की पत्नी को कश्मीर की प्रसिद्ध पश्मीना शॉल और हस्तनिर्मित पेपर माशे बॉक्स उपहार में दिया गया।
विदेश मंत्रालय के अनुसार आज प्रधानमंत्री मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने मियागी प्रीफेक्चर के सेनदाई में स्थित टोक्यो इलेक्ट्रॉन मियागी लिमिटेड का संयुक्त दौरा किया। यह कंपनी सेमीकंडक्टर क्षेत्र में अग्रणी है। मोदी को कम्पनी की वैश्विक भूमिका, निर्माण क्षमताओं और भारत से जुड़ी योजनाओं के बारे में जानकारी दी गयी। दोनों नेताओं ने सेमीकंडक्टर आपूर्ति शृंखला, निर्माण और परीक्षण में सहयोग की सम्भावनाओं पर चर्चा की।
भारत के बढ़ते सेमीकंडक्टर विनिर्माण तंत्र और जापान की उन्नत तकनीकी क्षमता एक-दूसरे के पूरक हैं। दोनों देशों ने इस क्षेत्र में सहयोग गहराने की प्रतिबद्धता दोहरायी। इससे पहले सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन साझेदारी और आर्थिक सुरक्षा संवाद के अंतर्गत हुए समझौतों पर भी आगे काम करने का निर्णय हुआ।
प्रधानमंत्री मोदी ने इससे पहले जापान में एक घंटे में 320 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़नेवाली शिंकानसेन बुलेट ट्रेन से सेनदाई तक की यात्रा की। उनके इस सफर में जापान के प्रधानमंत्री इशिबा भी रहे। वहां इशिबा ने उनके सम्मान में दोपहर भोज का आयोजन किया, जिसमें मियागी प्रीफेक्चर के गवर्नर सहित कई गण्यमान्य उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को जापान के विभिन्न प्रान्तों के राज्यपालों से मुलाकात की। इस बातचीत में सोलह राज्यपालों ने भाग लिया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत-जापान साझेदारी को केवल दिल्ली-टोक्यो तक सीमित न रखते हुए राज्यों और प्रीफेक्चरों (जापान में राज्यों के लिए उपयोग शब्द) तक विस्तारित किया जाना चाहिए। उन्होंने राज्य-प्रीफेक्चर साझेदारी पहल के अंतर्गत व्यापार, प्रौद्योगिकी, पर्यटन, कौशल और संस्कृति के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया। गवर्नरों ने भी उप-राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को अपनी यात्रा के दौरान भारत-जापान 15वें वार्षिक शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री इशिबा के साथ वार्ता की। भारत और जापान ने टोक्यो में आयोजित वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान अनेक समझौतों पर हस्ताक्षर किये। इनमें आर्थिक, सुरक्षा, तकनीकी, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय सहयोग से जुड़े कुल 20 से अधिक दस्तावेज शामिल हैं।



