New Delhi News: केन्द्र सरकार ने बिहार को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत बक्सर-भागलपुर हाई-स्पीड कॉरिडोर के मोकामा-मुंगेर खंड का हाइब्रिड वार्षिकी मोड में निर्माण होगा। यह सड़क मोकामा, बड़हिया, लखीसराय, जमालपुर और मुंगेर को भागलपुर से जोड़ेगी। इससे क्षेत्र के लोगों को तेज और सुरक्षित यात्रा का लाभ मिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बुधवार को हुई बैठक में उक्त फैसला लिया गया। मोकामा-मुंगेर सेक्शन 4-लेन ग्रीनफील्ड एक्सेस कंट्रोल्ड सड़क होगी। इसकी कुल लंबाई 82.4 किलोमीटर होगी। परियोजना पर लगभग 4,447 करोड़ रुपये खर्च होंगे। सरकार का मानना है कि इस परियोजना से क्षेत्र का आर्थिक और सामाजिक विकास तेज होगा।
मंत्रिमंडल के फैसलों के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्वनी वैष्णव ने राष्ट्रीय मीडिया केन्द्र में फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कॉरिडोर पर वाहन औसतन 80 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चल सकेंगे। इसकी डिजाइन स्पीड 100 किलोमीटर प्रति घंटा रखी गयी है। नयी सड़क बनने से यात्रा का समय घटकर करीब डेढ़ घंटा रह जायेगा। इस परियोजना से रोजगार भी बढ़ेगा। लगभग 14.83 लाख मानव-दिवस का सीधा रोजगार और 18.46 लाख मानव-दिवस का अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।
भागलपुर-दुमका-रामपुरहाट रेलवे लाइन के दोहरीकरण को मंजूरी
केन्द्र सरकार ने भागलपुर-दुमका-रामपुरहाट रेलवे लाइन के दोहरीकरण को मंजूरी दी है। यह लाइन तीन राज्यों बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से होकर गुजरेगी। इस 177 किलोमीटर लम्बे खंड पर करीब 3,169 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इससे लोगों, सामान और सेवाओं की आवाजाही आसान होगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। परियोजना से रेलवे नेटवर्क में 177 किलोमीटर की बढ़ोतरी होगी। यह पांच जिलों को जोड़ेगी और क्षेत्र की कनेक्टिविटी मजबूत करेगी।
कैबिनेट फैसलों की जानकारी केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राष्ट्रीय मीडिया केन्द्र में आयोजित पत्रकार वार्ता में दी। उन्होंने बताया कि यह लाइन देवघर (बाबा बैद्यनाथ धाम) और तारापीठ (शक्ति पीठ) जैसे धार्मिक स्थलों को जोड़ेगी। इससे 441 गांव, लगभग 29 लाख लोग और बांका, गोड्डा, दुमका जैसे आकांक्षी जिले सीधे रेल नेटवर्क से जुड़ जायेंगे।
इस मार्ग से कोयला, सीमेंट, उर्वरक, ईंट और पत्थर जैसे सामान का परिवहन आसान होगा। रेलवे की क्षमता बढ़ने से हर साल 15 मिलियन टन अतिरिक्त माल ढोया जा सकेगा। तेल आयात में 05 करोड़ लीटर की बचत होगी और 24 करोड़ किलो कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन घटेगा। यह पर्यावरण की दृष्टि से 01 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर होगा। यह परियोजना पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान के तहत तैयार की गयी है। इसका मकसद मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक्स को और बेहतर बनाना है।



