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बंगाल विधानसभा में ‘अपराजिता विधेयक’ सर्वसम्मति से पारित, दुष्कर्म के मामलों में कड़ी सजा का प्रावधान

बंगाल विधानसभा में ‘अपराजिता विधेयक’ सर्वसम्मति से पारित, दुष्कर्म के मामलों में कड़ी सजा का प्रावधान

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Kolkata news : पश्चिम बंगाल विधानसभा ने ‘अपराजिता महिला और बाल (पश्चिम बंगाल अपराध कानून संशोधन) विधेयक 2024’ मंगलवार को पारित कर दिया। इस विधेयक में दुष्कर्म और महिला उत्पीड़न के मामलों में कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। इसे अब राज्यपाल के पास भेजा जायेगा। उसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जायेगा। नये कानून के तहत दुष्कर्म मामलों की 21 दिन में जांच पूरी करनी होगी। इसके अलावा पीड़ित के कोमा में जाने या मौत होने पर दोषी को 10 दिन में फांसी की सजा होगी। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में हुए हालिया घटनाक्रम के बाद पश्चिम बंगाल में दुष्कर्म एवं महिला उत्पीड़न को रोकने के लिए सख्त कानून बनाने की मांग उठ रही थी।

दुष्कर्म में आजीवन कारावास का प्रावधान

विधानसभा में पारित संशोधन विधेयक में दुष्कर्म के लिए आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। दोषी को जुर्माना भी देना होगा। इसके अलावा दोषियों को मृत्युदंड की सजा भी दी जा सकती है। जुर्माने की राशि का उपयोग पीड़िता की चिकित्सा और पुनर्वास के लिए किया जायेगा, जिसे विशेष अदालत के निर्धारित समय सीमा के भीतर देना अनिवार्य होगा। जैसा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 461 में उल्लेख किया गया है।

संशोधन विधेयक का उद्देश्य वेस्ट बंगाल क्रिमिनल लॉ एंड अमेंडमेंट बिल में बदलाव कर दुष्कर्म और यौन शोषण के मामलों में महिलाओं-बच्चों की सुरक्षा बढ़ाना है। विधेयक के प्रावधानों के अनुसार भारतीय न्याय संहिता के सेक्शन 64, 66, 70(1), 71, 72(1), 73, 124(1) और 124 (2) में बदलाव का प्रस्ताव किया गया है। इसमें मुख्य तौर पर दुष्कर्म की सजा, दुष्कर्म और हत्या, सामूहिक दुष्कर्म, लगातार अपराध करना, पीड़ित की पहचान उजागर, एसिड अटैक के मामले शामिल हैं। इसमें सेक्शन 65(1), 65 (2) और 70 (2) को हटाने का प्रस्ताव है।

21 दिनों के भीतर जांच पूरी करनी होगी

इसके अतिरिक्त भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में नये प्रावधान जोड़ने का भी प्रस्ताव है। विधेयक में कहा गया है कि एफआईआर दर्ज होने के 21 दिनों के भीतर जांच पूरी करनी होगी। यदि इस समय सीमा में जांच पूरी नहीं होती है, तो इसे 15 दिनों के लिए बढ़ाया जा सकता है। लेकिन, इससे अधिक समय नहीं दिया जायेगा। ममता सरकार द्वारा उठाये गये इस कदम को राज्य में महिलाओं की सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि बंगाल में ममता सरकार ने अपराजिता विधेयक को ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की घटना के बाद विधानसभा में पेश किया था। इसके लिए विधानसभा का स्पेशल सत्र बुलाया गया था। ममता सरकार ने बिल को अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक 2024 नाम दिया है। 

ममता ने कई घटनाओं का किया जिक्र

बिल पर बहस के दौरान सीएम ममता ने साल 2020 में उत्तर प्रदेश के हाथरस में 20 साल की दलित महिला के साथ रेप और 2013 में बंगाल के उत्तरी 24 परगना जिले में एक कॉलेज छात्रा की रेप और बर्बर हत्या के साथ ही जयपुर में एक सरकारी अस्पताल में एक बच्ची के रेप का भी जिक्र किया। ममता ने कहा कि भाजपा शासित यूपी और गुजरात जैसे राज्यों में महिलाओं के  खिलाफ अपराध की दर असामान्य रूप से ज्यादा है। वहां न्याय नहीं है, लेकिन बंगाल की महिलाओं को अदालतों में न्याय मिलेगा। 

एंटी रेप बिल के मुख्य अंश 

✓इस बिल के भीतर रेप और हत्या करनेवाले अपराधी के लिए फांसी की सजा का प्रावधान।  

✓ चार्जशीट दायर करने के 36 दिनों के भीतर सजा-ए-मौत का प्रावधान।  

✓21 दिन में जांच पूरी करनी होगी। 

✓ अपराधी के मददगार को 05 साल की कैद की सजा का प्रावधान। 

✓ हर जिले के भीतर स्पेशल अपराजिता टास्क फोर्स बनाये जाने का प्रावधान। 

✓ रेप, एसिड, अटैक और छेड़छाड़ जैसे मामलों में ये टास्क फोर्स लेगी एक्शन। 

✓ रेप के साथ ही सिड अटैक पर भी आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान।  

✓ पीड़िता की पहचान उजागर करनेवालों के खिलाफ 03-05 साल की सजा का प्रावधान। 

✓ अपराजिता बिल कैसे बनेगा कानून?

✓ अपराजिता विधेयक को पारित होने के लिए राज्यपाल, राष्ट्रपति की मंजूरी की जरूरत होगी।  

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