पश्चिम बंगाल में ‘उत्कर्ष बांग्ला’ योजना के तहत तकनीकी शिक्षा प्राप्त विद्यार्थियों के लिए आयोजित नौकरी मेले में दिए गए कई नियुक्ति पत्रों के फर्जी होने का मामला सामने आया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विगत सोमवार को कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में आयोजित नौकरी मेले के दौरान अपने हाथों से भी कई विद्यार्थियों को नियुक्ति पत्र दिए थे।
नियुक्ति पत्र के बदले दे दिया प्रशिक्षण पत्र
बता दें कि अभी भी नियुक्ति पत्र देने के लिए पश्चिम बंगाल के कई जिलों में नौकरी मेले आयोजित किए जा रहे हैं। कुल 30,000 लोगों को नियुक्ति पत्र दिए जाएंगे। आरोप है कि बहुत से मामलों में नियुक्ति पत्र के बदले प्रशिक्षण का पत्र दिया गया है। इतना ही नहीं, जिन संस्थानों में प्रशिक्षण देने की बात कही गई है, उनसे राज्य सरकार का कोई करार ही नहीं हुआ है।
प्रशिक्षण संबंधी पत्र को फर्जी बताया
ऐसी कंपनियों में फनफर्स्ट ग्लोबल स्किलर्स नामक एक संस्थान भी शामिल है। इसके सहयोग से गुजरात के सुरेंद्रनगर में सुजुकी मोटर के संयंत्र में दो साल प्रशिक्षण की बात कही गई है। संस्थान के सेंटर मैनेजर वेदप्रकाश सिंह ने भी प्रशिक्षण संबंधी पत्र के फर्जी होने का दावा किया है। उन्होंने कहा-‘हमारा हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड के साथ इस तरह का करार है, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार के साथ इस मामले में अभी तक कोई बातचीत नहीं हुई है।’
हुगली के 107 विद्यार्थियों को मिला फर्जी नियुक्ति पत्र
फर्जी नियुक्ति पत्र पाने वालों में हुगली जिले के 107 विद्यार्थी शामिल हैं। विपक्षी दलों ने इसे लेकर ममता सरकार पर निशाना साधा है। भाजपा विधायक और बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने इस मामले पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस्तीफे की मांग की है। इधर, माकपा की केंद्रीय कमेटी के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार बेरोजगार युवक-युवतियों को जिस तरह से प्रताड़ित कर रही है, उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। दूसरी तरफ सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि पार्टी को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस बाबत प्रशासनिक अधिकारी ही बता सकते हैं।