Kolkata news : बांग्लादेश में अशांति और प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद भारत-बांग्लादेश व्यापार बाधित हो गया है। मंगलवार को व्यापारियों ने बताया कि यह फिलहाल अनिश्चितकाल के लिए बाधित रहेगा। पश्चिम बंगाल एक्सपोर्टर्स कोआॅर्डिनेशन कमेटी के सचिव उज्जवल साहा ने कहा कि राज्य के भूमि बंदरगाहों के माध्यम से व्यापार, बांग्लादेश कस्टम्स द्वारा माल की निकासी न होने के कारण रुका हुआ है, जिससे सैकड़ों ट्रक पार्किंग में खड़े हो गये हैं। पेट्रापोल, गोझाडांगा, महादीपुर, और फुलबाड़ी भूमि बंदरगाहों पर व्यापार प्रभावित हुआ है। साहा ने बताया कि रविवार को बांग्लादेश सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में बुधवार तक आवश्यक सेवाओं को छोड़कर तीन दिवसीय अवकाश घोषित किया गया था। उत्तर 24 परगना जिले में स्थित सबसे बड़े भूमि बंदरगाह पेट्रापोल में व्यापार बंद है क्योंकि बांग्लादेश के बेनापोल कस्टम्स ने काम नहीं किया है। सुरक्षा स्थिति को देखते हुए भूमि बंदरगाहों पर सुरक्षा बढ़ा दी गयी है।
बांग्लादेश सीमा पर सोनाहाट अंतरराष्ट्रीय वाणिज्य केन्द्र तीन दिन बंद रहेगा
पड़ोसी देश बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति के कारण असम के धुबड़ी में भारत-बांग्लादेश सीमा पर जारी रेड अलर्ट के बीच धुबड़ी के सोनाहाट अंतरराष्ट्रीय वाणिज्य केंद्र को तीन दिनों के लिए बंद कर दिया गया है। बांग्लादेश के साथ सभी तरह के आयात और निर्यात पर रोक लगा दी गई है। सीमा शुल्क विभाग ने धुबड़ी के सोनाहाट से बांग्लादेश तक पत्थर ले जाने वाले ट्रकों की आवाजाही पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। फिर भी बड़ी संख्या में ट्रकों के बांग्लादेश में फंसे होने की सूचना है। एक अन्य खबर के अनुसार भारत-बांग्लादेश सीमा पर जमा हुए हिंदुओं के ऊपर बांग्लादेश राइफल्स के जवानों ने जमकर लाठीचार्ज किया है।
बांग्लादेश के मुद्दे पर बसपा केंद्र के साथ : मायावती
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को कहा कि पड़ोसी देश बांग्लादेश के मुद्दे पर वह केन्द्र सरकार के साथ हैं। उन्होंने कहा कि सभी दलों का सरकार के साथ रहना जरूरी है। वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने कहा कि बांग्लादेश में हिन्दू मंदिर तोड़े जा रहे हैं, जो अच्छी बात नहीं है। मायावती ने ‘एक्स’ पोस्ट में लिखा कि पड़ोसी देश बांग्लादेश के तेजी से बदलते हुए राजनीतिक हालात के मद्देनजर आज की सर्वदलीय बैठक अति महत्त्वपूर्ण रही। सभी दलों द्वारा सरकार के फैसलों के साथ रहने का निर्णय उचित एवं जरूरी है। बसपा भी इस मामले में केन्द्र सरकार के फैसलों के साथ है।