Kolkata news, West Bangal news, Kolkata airport, Tokyo Japan : मारने वाला है भगवान, बचाने वाला है भगवान। कोलकाता के व्यवसायी दिनेश भरतिया पर यह भजन बिलकुल सटीक बैठता है। भरतिया को टोक्यो से उड़ान लेने के बाद कार्डियक अरेस्ट आया था। हालांकि पहले उन्हें समझ नहीं आया कि उन्हें क्या हुआ है। जब उन्हें अनुभव हुआ कि अब स्थिति बहार निकल रही है तो उन्होंने तत्काल विमान के क्रू मेंबर्स को इस बात की जानकारी दी। इसके बाद उनकी बिगड़ती स्थिति को देखकर उड़ान के दौरान घोषणा की गई कि क्या उड़ान में कोई चिकित्सक मौजूद है? संयोगवश उसी उड़ान में चंडीगढ़ के प्रमुख कार्डियक वस्कुलर सर्जन डॉ. दीपक पुरी यात्रा कर रहे थे। जब उन्होंने 56 साल के दिनेश भारतीय को देखा तो उन्हें तत्काल समझ आ गया कि इस यात्री को मेजर हृदयाघात हुआ है।
मैं खुशनसीब हूं कि उक्त विमान में डॉक्टर भी थे
एक कार्डियोवास्कुलर सर्जन ने विमान में सह-यात्री की जान बचाने में सहायता की। अपनी जान बच जाने के बाद भरतिया ने कहा कि डॉक्टर साहब उस समय भगवान के रूप में आए थे। उन्होंने ही मेरी जान बचाई। हृदय रोग विशेषज्ञ की सलाह पर विमान को कोलकाता की ओर मोड़ दिया गया, जहां से रोगी को अस्पताल ले जाया गया और उसकी जान बचाई गई। मरीज की जान बचाने में विमान में मौजूद क्रू दल के सदस्यों और कई सहयात्रियों ने मदद की। 5 घंटे तक डॉक्टर और क्रू मेंबर्स ने बीमार यात्री की मदद की। बताया जा रहा है कि बीमार यात्री संजोगवश कोलकाता का ही निवासी है। मरीज की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए विमान में मौजूद डॉक्टर ने एयरलाइंस को कहा कि कोलकाता में आपात कालीन लैंडिंग कराएं और लैंडिंग के समय एंबुलेंस को तैयार रखें।
परिजन कर रहे थे बेसब्री से इंतजार
इस बाबत बीमार यात्री भरतिया के परिचित लक्ष्मण अग्रवाल ने बताया कि कोलकाता में उतरने पर हमने उन्हें हृदय सॉल्टलेक आमरी में स्थानांतरित कर दिया, जहां पहले से एंजियोग्राफी टीम को तैयार रखा गया था। मरीज की अवरुद्ध कोरोनरी धमनी लैड को तुरंत खोला गया। फिलहाल मरीज का ऑपरेशन सफल रहा और वह जीवित है। इधर, कार्डियोवास्कुलर सर्जन ने बताया कि ज्यादातर लोग जागरूक नहीं हैं और शायद इस बात पर विश्वास नहीं कर सकते कि विमान में दिल की धड़कन बंद होने के बाद भी न्यूनतम चिकित्सा सहायता से यात्री को कैसे पुनर्जीवित किया जा सकता है। हमने तुरंत मरीज को विमान के फर्श पर लिटा दिया और मस्तिष्क और गुर्दे और अन्य अहम अंगों में परिसंचरण बनाए रखने के लिए प्रति मिनट 100 की दर से कार्डियक संदेश देना शुरू कर दिया। मरीज का दिल धड़कने तक यह प्रक्रिया जारी रखी गई।
हर 30 कंप्रेशन के बाद दो सांसें दीं जा रही थीं
इस दौरान हर 30 कंप्रेशन के बाद दो सांसें मरीज को दी जा रही थीं। विमान में व्यवसायी को 40 हजार फीट पर कार्डियक अरेस्ट आया था। उन्होंने समझाया कि “यदि कार्डियक संदेश तुरंत शुरू नहीं किया जाता है तो तीन से पांच मिनट में मरीज दिमागी तौर पर मृत हो जाता है। इस स्थिति में समय बहुत महत्वपूर्ण है। सभी को इसके बारे में जागरूक किया जाना चाहिए, ताकि कई अन्य लोगों की जान बचाई जा सके।”
एयरलाइंस के पास महज दो ही विकल्प थे
इस परिस्थिति में या तो चीन में आपातकालीन लैंडिंग, जो दो घंटे के निकटतम था, या कोलकाता जो पांच घंटे की दूरी पर था। हमने सोचा कि हम कोलकाता में अधिक आसानी से परिवहन और एंजियोप्लास्टी की व्यवस्था कर सकते हैं, इसलिए इसे चुना। लेकिन रोगी को पांच घंटे तक जिंदा रखने की जिम्मेदारी भी जोड़ दी जो चीन से तीन घंटे अधिक दूर थी। अगर हम दिल्ली के लिए उड़ान भरना जारी रखते, जिसमें दो घंटे और लग जाते या अगर हमने उसे चीन की ओर मोड़ दिया होता, क्योंकि हमें उसके चिकित्सा बीमा कवर के बारे में पता नहीं था और क्या हम तुंरत एंजियोग्राफी की व्यवस्था कर सकते थे? जितनी जल्दी हमने कोलकाता में इसे किया।