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वाह रे जमाना : बुजुर्ग पिता को घर में बंद कर बेटी चली गई दिल्ली, फिर 15 दिनों तक क्या हुआ, आप भी जानें

वाह रे जमाना : बुजुर्ग पिता को घर में बंद कर बेटी चली गई दिल्ली, फिर 15 दिनों तक क्या हुआ, आप भी जानें

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Kolkata West Bengal latest Hindi news : पिता और उसके बच्चों को लेकर हिंदी सिनेमा में एक गाना बहुत ही प्रचलित है…’ तुम हाथ पकड़ना मेरा जब मैं बूढ़ा हो जाऊं’ …। इस गाने के माध्यम से राइटर ने परिकल्पना की है जब वह बूढ़ा हो जाए तो उसके बच्चे उसे उसी की तरह उसकी उंगली पकड़कर उसे घूमाए-फिराए, उसे राह दिखाए, जैसे बचपन में वह अपने बच्चों की उंगलियां पकड़ उसे सहारा देता था, उसे संभालता था। परंतु अब न तो वह दिन रहा और न ही वैसी परिस्थितियां। जमाना बदल गया है, बच्चे उंगली पकड़ना तो दूर उन्हें कई मामलों में नजरअंदाज करने लगे हैं। संवेदनाएं मर सी गईं हैं। कोलकाता की हालिया घटना इसकी बानगी है। यहां कोलकाता के सॉल्टलेक स्थित बीड़ी ब्लॉक के एक मकान में रहने वाले 75 वर्षीय पिता को उसकी बेटी घर में बंद कर इसलिए दिल्ली चली गई, क्योंकि उसे नौकरी की तलाश थी। वह बीते 15 दिनों तक किस तरह बंद कमरे में रहे…, आप भी जानें…

पड़ोसी के फ़ोन पर बेटी का जवाब…, वह फंसी हैं…आप ख्याल रखो प्लीज़… और पुलिस ने रखा ख्याल

जब पड़ोसियों को यह पता चला कि वह रिटायर्ड कर्मचारी पिछले 15 दिनों से बंद मकान में रह रहे हैं तो लोगों ने उन्हें भोजन और अन्य आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराया। जब लोगों ने उनकी बेटी से फोन पर संपर्क किया तो उसने दो टूक कहा वह नौकरी की तलाश में दिल्ली आई है और अभी यहां फसी हुई है। हां, उसने इस दौरान अपने पड़ोसियों से यह अपील जरूर की कि वह उसके पिता का ध्यान रखें। नौकरी मिलने के बाद वह वापस कोलकाता आएगी। बहरहाल, पिछले कुछ दिनों से बेटी का मोबाइल बंद आ रहा है, उससे किसी की बात नहीं हो पा रही है।

बुजुर्ग की जिद, नहीं जाएंगे अस्पताल, पुलिस कर रही देखभाल

बुजुर्ग की बेटी से फोन पर भी संपर्क टूटने से परेशान पडोसियों ने अंततः स्थानीय विद्यानगर उत्तर थाने को इसकी जानकारी दी। पुलिस पहुंची औऱ उन्हें अस्पताल ले जाने का प्रयास किया तो उन्होंने दो टूक कहा वह अस्पताल नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि जब उनकी बेटी कोलकाता आएगी, तभी वह बाहर निकलेंगे। इधर, बेटी का फोन बंद पाए जाने पर पडिसियों के साथ-साथ पुलिस भी परेशान है और बुजुर्ग की देखभाल में जुटी है। इधर, इस बात को लेकर यह चर्चा आम है कि ऐसे में बुजुर्ग कितने दिन सुरक्षित रह पाएंगे?

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