The scheme has become a problem for dozens of families : बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर राज्य में संचालित ‘दीदी का सुरक्षा कवच योजना’ संचालित है। इसके तहत तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता गांव-गांव, घर-घर घूम कर लोगों की समस्याएं जानने का प्रयास कर रहे हैं। इस योजना का उद्देश्य समस्याओं को जानकर उसे दूर करने के उपायों पर फोकस करना है। लेकिन, यह योजना दर्जनों परिवारों के लिए मुसीबत बन गई है। यह कई घरों को तोड़ रहा है, आपस में लड़ा रहा है, यहां तक की कई घरों में तलाक तक की नौबत आ रही है। आखिर क्या है इस जन कल्याणकारी योजना का साइड इफेक्ट, आइए जानें…
आ रहे दीदी का दूत बनकर और बांट रहे दर्द
दरअसल, इस योजना के तहत ‘दीदी का दूत’ बनकर तृणमूल कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता घर-घर पहुंच रहे हैं। उनकी समस्याएं जान रहे हैं और उनके साथ तस्वीरें ले रहे हैं। यह तो राजनीति है, अगर तस्वीरें लेंगे तो अपनी राजनीति चमकाने के लिए उसे किसी न किसी प्लेटफार्म पर वायरल भी करेंगे। इतना तो सही है, आप इसे राजनीति का हिस्सा मान सकते हैं, लेकिन वायरल यही तस्वीरें परिवारों के लिए परेशानियों का सबब बन गईं हैं। अपनी पत्नी की तस्वीर अन्य पुरुषों के साथ देख महिलाओं के पति आग बबूले हो रहे हैं और उनका यह रुख पत्नियों के लिए भारी पड़ रहा है।
सुनते हैं की पत्नियों की कहानी, उन्हीं की जुबानी
नाम और पता गोपनीय रखने के लिए हम उन पत्नियों के वास्तविक नाम का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। इन काल्पनिक नामों में मुर्शिदाबाद जिले के जलंगी थाना अंतर्गत कीर्तनिया गांव की बात करें तो वहां की रोशन आरा कहती हैं, तृणमूल कांग्रेस के एक नेता के मोबाइल में हमारी तस्वीर देखकर मेरे पति भड़क गए और उन्होंने मेरे साथ मारपीट की। इतना ही नहीं मुझे घर से भी निकाल दिया। मुझे पता नहीं कि इंटरनेट पर मेरी तस्वीर कैसे चली गई। वहीं सोफिया कहती है, मेरे पति केरल में मजदूरी करते हैं। उन्होंने मेरी तस्वीर एक तृणमूल नेता के साथ देखी है और मुझे तलाक देने की धमकी दे रहे हैं। ऐसे कई और मामले हैं जो कि फिलहाल घर में झगड़े बढ़ा रहे हैं।
तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता इसे बता रहे विरोधियों की चाल
इस तरह की बातें सामने आने पर तृणमूल कांग्रेस के नेता दो टूक कहते हैं, पंचायत चुनाव नजदीक है इसलिए यह विरोधी दलों की चाल है। इस जन कल्याणकारी योजना का दुष्प्रचार कर रहे हैं औऱ हमें बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। हमारी बढ़ती ताकत और जनाधार देखकर वे विचलित हो रहे हैं। अगर इसका कहीं कोई वास्तव में साइड इफेक्ट है तो यह हमारी जवाबदेही है कि हम उन परिवारों की रक्षा करें उन्हें सुरक्षा प्रदान करें। तृणमूल कांग्रेस के कारण न कोई घर टूटा है, न टूटेगा और न ही कोई पत्नियां प्रताड़ित होंगी।