Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

17 लाख मदरसा स्टूडेंट सरकारी स्कूल नहीं भेजे जाएंगे, यूपी मदरसा एक्ट बरकरार

17 लाख मदरसा स्टूडेंट सरकारी स्कूल नहीं भेजे जाएंगे, यूपी मदरसा एक्ट बरकरार

Share this:

सुप्रीम कोर्ट ने कहा पीजी-रिसर्च सिलेबस तय करना सरकार का काम

New Delhi news : उच्चतम न्यायालय ने यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट की वैधता बरकरार रखी है। यानी उत्तर प्रदेश में मदरसे चलते रहेंगे और 16 हजार मदरसों में पढ़ने वाले 17 लाख स्टूडेंट सरकारी स्कूल नहीं भेजे जाएंगे। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश सुनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट का वह फैसला खारिज कर दिया, जिसमें मदरसा एक्ट को असंवैधानिक बताया गया था।

सुप्रीम अदालत ने कहा कि मदरसा एक्ट के सभी प्रावधान मूल अधिकार या संविधान के आधारभूत संरचना का उल्लंघन नहीं करते हैं। हालांकि कोर्ट ने मदरसा एक्ट के उस प्रावधान पर रोक लगा दी, जिसमें मरदसों को पीजी और रिसर्च का सिलेबस तय करने का अधिकार था। यानी अब मदरसा बोर्ड हायर एजुकेशन का सिलेबस और किताबें तय नहीं कर पाएंगे। इसी वर्ष पांच अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा एक्ट को असंवैधानिक करार देने वाले फैसले पर रोक लगा दी थी। केंद्र और यूपी सरकार से इस पर जवाब भी मांगा था। इस मामले में 22 अक्टूबर को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच में सुनवाई हुई थी। चीफ जस्टिस ने कहा था कि धर्मनिरपेक्षता का मतलब है- जियो और जीने दो।

हाईकोर्ट ने क्या कहा था ?

इसी साल 22 मार्च को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 86 पेज का फैसला सुनाया। कोर्ट ने मदरसा को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। इसके साथ ही यूपी सरकार को स्कीम बनाकर मदरसों के बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है। विभिन्न धर्मों के बच्चों के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता। धर्म के आधार पर उन्हें अलग-अलग प्रकार की शिक्षा मुहैया नहीं कराई जा सकती। अगर ऐसा किया जाता है, तो यह धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन होगा।

हाईकोर्ट के फैसले को मदरसा अजीजिया इजाजुतूल उलूम के मैनेजर अंजुम कादरी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। 5 अप्रैल, 2024 को सुप्रीम कोर्ट में पहली बार सुनवाई हुई। कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- हाईकोर्ट प्रथमदृष्टया सही नहीं है। ये कहना गलत होगा कि यह मदरसा एक्ट धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन करता है। यहां तक कि यूपी सरकार ने भी हाईकोर्ट में मदरसा एक्ट का बचाव किया था। इसके बाद 22 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

धार्मिक शिक्षा कभी भी अभिशाप नहीं रही

कोर्ट का कहना है कि मदरसों के छात्रों को दूसरे स्कूल में ट्रांसफर करने का निर्देश देना ठीक नहीं है। देश में धार्मिक शिक्षा कभी भी अभिशाप नहीं रही है। बौद्ध भिक्षुओं को कैसे प्रशिक्षित किया जाता है? अगर सरकार कहती है कि उन्हें कुछ धर्मनिरपेक्ष शिक्षा प्रदान की जाए तो यह देश की भावना है।

मदरसों के सर्वे में क्या मिला?

यूपी सरकार के सर्वे में प्रदेश में करीब 8441 मदरसे ऐसे मिले थे, जिनकी मान्यता नहीं थी। सबसे ज्यादा मुरादाबाद में 550 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे मिल थे। इसके बाद सिद्धार्थनगर में 525 और बहराइच में 500, बस्ती में 350 मदरसे बिना मान्यता मिले थे। राजधानी लखनऊ में 100 मदरसों की मान्यता नहीं थी। इसके अलावा प्रयागराज-मऊ में 90, आजमगढ़ में 132 और कानपुर में 85 से ज्यादा मदरसे गैर मान्यता प्राप्त मिले थे। राज्य सरकार के मुताबिक प्रदेश में फिलहाल 15 हजार 613 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। अक्टूबर 2023 में यूपी सरकार ने मदरसों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी मदरसों को हो रही विदेशी फंडिंग की जांच कर रही है।

प्रतिक्रिया : मदरसों ने आईएएस-आईपीएस दिए

मुस्लिम धार्मिक नेताओं और विपक्षी पार्टियों ने इस निर्णय का स्वागत किया। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना खालिद राशिद फरंगी महली ने इसे मदरसों के लिए एक बड़ी राहत बताया।ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि मदरसों ने देश को कई आईएएस और आईपीएस अधिकारी दिए हैं। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मौलाना कब राशिदी ने इस फैसले को एक बड़ा संदेश बताया। उन्होंने कहा, “यह बहुत बड़ा संदेश है। यदि सरकार चाहती है कि मदरसों में आधुनिक शिक्षा में कुछ सुधार हो, तो हम बैठकर इस पर चर्चा कर सकते हैं।

 बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) प्रमुख मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर कहा, “सुप्रीम कोर्ट का यह महत्वपूर्ण निर्णय, उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004 को संवैधानिक और वैध ठहराने वाला स्वागत योग्य है। इससे मदरसा शिक्षा के भविष्य को लेकर उपजे विवाद और हजारों मदरसों के भविष्य पर छाया अनिश्चितता समाप्त हो जाएगी। इसे उचित तरीके से लागू करना भी महत्वपूर्ण है।”

वहीं, समाजवादी पार्टी ने भाजपा पर आरोप लगाया कि पार्टी देश की जनता को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित करना चाहती थी। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन ने कहा, “भाजपा जनता को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित करना चाहती थी। आजादी के बाद कानूनी तौर पर मदरसे स्थापित हुए थे, लेकिन भाजपा सरकार अल्पसंख्यकों के खिलाफ है और नफरत की राजनीति करती है, जिससे मदरसों के खिलाफ लगातार बयानबाजी होती रही।”

Share this: