Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

एक शिक्षक के भरोसे झारखंड के 7642 स्कूल, यहां 3.78 लाख बच्चों का भविष्य दांव पर

एक शिक्षक के भरोसे झारखंड के 7642 स्कूल, यहां 3.78 लाख बच्चों का भविष्य दांव पर

Share this:

Ranchi news : झारखंड के 7642 स्कूलों में अध्ययनरत 3.78 लाख बच्चों का भविष्य दांव पर लगा है। क्योंकि इन स्कूलों में महज एक-एक शिक्षक हैं। ये ऐसे इकलौते शिक्षक हैं, जो अकेले ही सारे सब्जेक्ट पढ़ते हैं और अकेले ही सारी कक्षाएं लेते हैं। यह कोई और नहीं, बल्कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इन्फारमेशन सिस्टम फार एजुकेशन प्लस की 2022-23 की रिपोर्ट कहती है।

370 स्कूल ऐसे, जहां एक भी नामांकन नहीं हुए, परंतु शिक्षकों की है भरमार

2022-23 की इस रिपोर्ट में एक से बढ़कर एक चौंकाने वाले तथ्य हैं। रिपोर्ट बताती है राज्य में 370 स्कूल ऐसे हैं, जहां शून्य अवधि में शून्य नामांकन हुआ है। यहां एक भी बच्चे के नामांकन नहीं होने के बाद भी इन स्कूलों में 1,368 शिक्षक कार्यरत हैं। लिहाजा, रिपोर्ट बताती है कि छात्र-शिक्षक अनुपात की स्थिति भी ठीक-ठाक नहीं है। झारखंड में 35 बच्चों पर एक शिक्षक कार्यरत हैं, जबकि आरटीई तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत यह अनुपात 30 से अधिक नहीं होना चाहिए।

एक शिक्षक के भरोसे झारखंड के 7642 स्कूल, यहां 3.78 लाख बच्चों का भविष्य दांव पर

राष्ट्रीय स्तर पर छात्र-शिक्षक अनुपात 27 प्रतिशत है। इस मामले में झारखंड से खराब स्थिति सिर्फ बिहार की है, जहां यह अनुपात 42 है। प्रति स्कूल शिक्षकों की औसत संख्या की बात करें तो झारखंड में प्रति स्कूल औसत पांच शिक्षक कार्यरत हैं। राष्ट्रीय स्तर पर प्रति स्कूल औसत छह शिक्षक कार्यरत हैं। इस मामले में झारखंड अन्य राज्यों आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और ओडिशा के साथ खड़ा है, जहां भी प्रति स्कूल औसत पांच शिक्षक ही कार्यरत हैं। सबसे पीछे मेघालय है, जहां प्रति स्कूल औसत चार शिक्षक ही कार्यरत हैं।

Share this: