Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए व्यापक दृष्टिकोण अपनाना होगा : राष्ट्रपति मुर्मू

भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए व्यापक दृष्टिकोण अपनाना होगा : राष्ट्रपति मुर्मू

Share this:

New Delhi News: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को भ्रष्टाचार को आर्थिक प्रगति में बाधक बताया और कहा कि इसका व्यापक प्रभाव देश की एकता और अखंडता पर भी पड़ता है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के उन्मूलन के लिए व्यापक दृष्टिकोण अपनाना होगा। इस बीमारी की जड़ तक जाना होगा। केवल लक्षणों के जरिये इसे ठीक करना प्रभावी नहीं होगा। उन्होंने विश्वास जताया कि भारत सरकार की “भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस” की नीति भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म कर देगी।

केन्द्रीय सतर्कता आयोग के सतर्कता जागरूकता सप्ताह समारोह को सम्बोधित कर रही थीं


राष्ट्रपति शुक्रवार को नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के सतर्कता जागरूकता सप्ताह समारोह को सम्बोधित कर रही थीं। सीवीसी हर वर्ष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के उपलक्ष्य में सतर्कता जागरूकता सप्ताह मनाता है। उन्होंने कहा कि सतर्कता जागरूकता सप्ताह का इस वर्ष का सत्यनिष्ठा की संस्कृति से राष्ट्र की समृद्धि विषय अत्यन्त उपयोगी है। इस मौके पर राष्ट्रपति के साथ मंच पर सेंट्रल विजिलेंस कमिश्नर (सीवीसी) पीके श्रीवास्तव, विजिलेंस कमिश्नर ए.एस. राजीव और सीवीसी सचिव पी. डेनियल उपस्थित थे।

डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से पारदर्शिता आयी है”


राष्ट्रपति ने कहा कि अगर कोई भी काम सही भावना और दृढ़ संकल्प के साथ किया जाये, तो सफलता निश्चित है। कुछ लोग गंदगी को ही हमारे देश की नियति मानते थे, लेकिन मजबूत नेतृत्व, राजनीतिक इच्छाशक्ति और नागरिकों के योगदान से स्वच्छता के क्षेत्र में अच्छे परिणाम सामने आये हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि इसी तरह कुछ लोगों द्वारा भ्रष्टाचार के उन्मूलन को असाध्य मान लेना एक निराशावादी दृष्टिकोण है। पिछले 10 वर्षों में भ्रष्टाचार उन्मूलन की दिशा में केन्द्र सरकार द्वारा उठाये गये कदमों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से कल्याणकारी सहायता के वितरण में पारदर्शिता आयी है। उन्होंने सार्वजनिक खरीद में ई-टेंडरिंग के प्रावधान और ई-मार्केट प्लेस का उदाहरण दिया।

10 वर्षों में पीएमएलए के तहत 12 अरब डॉलर से अधिक की सम्पत्तियां जब्त हुई हैं”


उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत सरकार ने 12 अरब डॉलर से अधिक की सम्पत्तियां जब्त की हैं। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि भारत सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टोलरेंस की नीति से भ्रष्टाचार जड़ से समाप्त हो जायेगा। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से मुक्ति का कार्य भी देश की स्वच्छता के अभियान का ही एक रूप है।

भ्रष्ट व्यक्तियों के विरुद्ध त्वरित कानूनी कार्रवाई अत्यन्त आवश्यक है”


राष्ट्रपति ने कहा कि भ्रष्ट व्यक्तियों के विरुद्ध त्वरित कानूनी कार्रवाई अत्यन्त आवश्यक है। कार्रवाई में देरी या कमजोर कार्रवाई से अनैतिक व्यक्तियों को बढ़ावा मिलता है। लेकिन, यह भी आवश्यक है कि हर कार्य और व्यक्ति को संदेह की दृष्टि से न देखा जाये। हमें इससे बचना चाहिए। व्यक्ति की गरिमा को ध्यान में रखते हुए कोई भी कार्रवाई दुर्भावना से प्रेरित नहीं होनी चाहिए। किसी भी कार्रवाई का उद्देश्य समाज में न्याय और समानता स्थापित करना होना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि हर साल 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की जयंती पर हम देश की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखने का संकल्प लेते हैं। यह केवल एक रस्म नहीं है। यह गम्भीरता से लिया जानेवाला संकल्प है। इसे पूरा करना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि नैतिकता भारतीय समाज का आदर्श है। जब कुछ लोग वस्तुओं, धन या सम्पत्ति के संचय को अच्छे जीवन का मानक मानने लगते हैं, तो वे इस आदर्श से भटक जाते हैं और भ्रष्ट गतिविधियों का सहारा लेते हैं। बुनियादी जरूरतों को पूरा करके आत्मसम्मान के साथ जीवन जीने में ही खुशी है। राष्ट्रपति ने विश्वास को सामाजिक जीवन का आधार बताया और कहा कि यह एकजुटता की शर्त है और सम्बन्धों को प्रगाढ़ बनाता है। सरकार के कार्य और कल्याणकारी योजना में जनविश्वास से भी शासन को शक्ति मिलती है।

उन्होंने भ्रष्टाचार को आर्थिक प्रगति में बाधक बताया और कहा कि ये समाज में विश्वास को भी कम करता है। इससे लोगों के बीच बंधुता कम होती है। इसका व्यापक प्रभाव देश की एकता और अखंडता पर भी पड़ता है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के उन्मूलन के लिए व्यापक दृष्टिकोण अपनाना होगा। इस बीमारी की जड़ तक जाना होगा। केवल लक्षणों के जरिये इसे ठीक करना प्रभावी नहीं होगा। ट्रेन में यात्री का सामान छूटने और गरीब व्यक्ति द्वारा उसे पुलिस को सौंपे जाने की समाचारों का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वह चाहता, तो उस सामान को अपने घर ले जा सकता था, लेकिन गरीब होने के बावजूद उसे सही गलत की पहचान है। ये नैतिकता ही भारतीय समाज का आदर्श है। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज सीमित संसाधनों में भी प्रसन्न और संतुष्ट रहते हैं। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार करनेवालों का परिणाम भी बुरा होता है। वे कभी खुश नहीं रह पाते। उन्हें हमेशा इस बात का डर रहता है कि न जाने कब उनकी अनैतिक और गैरकानूनी गतिविधियां सभी के सामने आ जायेंगी। उनका शेष जीवन भी कारागार में बीतता है और समाज में उनके परिवार को अपमान सहना पड़ता है।

Share this: