Saharsa news: डॉ. रहमान चौक स्थित ब्रज किशोर ज्योतिष संस्थान के संस्थापक ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा जी ने बताया कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को अक्षय या आंवला नवमी मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में कई वृक्षों को पूजनीय माना गया है। इन्हीं में से एक है आंवला। नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा कर उसी के नीचे भोजन करने का भी विधान है। आंवला नवमी का वैज्ञानिक, आध्यात्मिक और पौराणिक महत्व है। यदि संभव हो तो इस दिन निःसहाय, जरुरतमंद को भोजन, वस्त्र आदि देना चाहिए। शास्त्रों में वर्णन के अनुसार, इससे माता लक्ष्मी की विशेष कृपा रहती हैं। मिथिला पंचांग के अनुसार, आंवला या अक्षय नवमी का पर्व 10 नंवबर यानी रविवार को ही मनाया जाएगा
आंवला नवमी क्यों मनाई जाती है
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार धन की देवी मां लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करने के लिए आई थी, उस दौरान उन्हें भगवान विष्णु और शिव की साथ में पूजा करने की इच्छा हुई। उन्होंने भ्रमण के दौरान देखा कि तुलसी और बेल ऐसे पौधे हैं, जिनमें औषधीय गुण पाए जाते हैं। जबकि, तुलसी विष्णु जी और बेल भोलेनाथ को पसंद है,तब उन्होंने आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु और शिव जी का वास मानते हुए उसकी पूजा की।
पूजा करना माना जाता है शुभ
माता लक्ष्मी की पूजा से देवता खुश हुए और मां लक्ष्मी के हाथों से बनाया हुआ भोजन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर किया, इसलिए आंवला नवमी के दिन घर में आंवले का पौधा लगाना और नियमित रूप से उसकी पूजा करना शुभ माना जाता है।