Lucknow news : उत्तर प्रदेश भू-सम्पदा नियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) ने आवासीय योजनाओं के निजी क्षेत्र के प्रमोटर मेसर्स अंसल प्रॉपर्टीज एण्ड इन्फ्रस्ट्रक्चर लि. पर चौदह करोड़ चालीस लाख नब्बे हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। यूपी रेरा ने अंसल को रेरा अधिनियम की धारा-3 के उल्लंघन का दोषी करार दिया है।
प्राधिकरण के चेयरमैन संजय आर.भूसरेड्डी ने यह निर्णय सुनाया है। निर्णय में कहा गया है कि प्रोमोटर के लिखित कथन का गहन अध्ययन एवं मौखिक बहस पर गम्भीरता पूर्वक विचार करने के उपरान्त यह पाया गया कि प्रोमोटर द्वारा उपर्युक्त सेक्टर्स के अपंजीकृत पॉकेट्स में किये गये विक्रय में रेरा अधिनियम की धारा-3 के उल्लंघन से सम्बन्धित नोटिस का प्रस्तुत किया गया उत्तर विधिक रूप से मान्य नहीं है। रेरा अधिनियम की धारा-3 का उल्लंघन साबित हुआ है।
प्राधिकरण द्वारा सम्यक विचारोपरान्त अधिनियम की धारा-59(1) के अन्तर्गत उक्त सभी अपंजीकृत पॉकेट्स में विक्रय किये जाने के कारण आंकलित अनुमानित लागत के आधार पर रेरा अधिनियम की धारा-59(1) के अनुसार 10 प्रतिशत की कुल चौदह करोड़ चालीस लाख नब्बे हजार रूपए का जुर्माना लगाया गया है। प्रोमोटर द्वारा जुर्माने की उक्त धनराशि 30 दिन के अन्दर जमा न करने तथा रेरा अधिनियम की धारा-59(1) में पारित आदेश का अनुपालन न करने की स्थिति में अधिनियम की धारा-59(2) के अधीन कार्यवाही की जायेगी।
मेसर्स अंसल प्रॉपर्टीज एण्ड इन्फ्रस्ट्रक्चर लि. द्वारा दिनांक 26 मार्च 2022 से लेकर 14 अगस्त 2024 तक की अवधि में विभिन्न तिथियों पर हाईटेक टाउनशिप, सुशान्त गोल्फ सिटी, लखनऊ के सेक्टर एम के अपंजीकृत पॉकेट-1 ए, 2 कुल 58 विक्रय-विलेख, सेक्टर एच के अपंजीकृत पॉकेट-1, 2ए, 2बी, 2सी में कुल 32 एवं इसी सेक्टर एच के अपंजीकृत एक पॉकेट में 104 विक्रय-विलेख, इस सेक्टर के इन पॉकेट्स में प्रोमोटर द्वारा कुल 136 विक्रय-विलेख, सेक्टर जे के अपंजीकृत पॉकेट-1 में 48 विक्रय-विलेख, सेक्टर जी के अपंजीकृत पॉकेट-3बी एवं पांच में कुल 82 विक्रय-विलेख, सेक्टर एफ के अपंजीकृत पॉकेट-2ए में चार विक्रय-विलेख तथा सेक्टर बी के अपंजीकृत पॉकेट-चार में एक विक्रय-विलेख, इस प्रकार इन सभी सेक्टर्स के अपंजीकृत पॉकेट्स में कुल 329 विक्रय-विलेख रेरा अधिनियम की धारा-3 का उल्लंघन करते हुए निष्पादित किए गये।
प्रोमोटर द्वारा प्राधिकरण की नोटिसों के क्रम में कोई उत्तर अथवा अनुपालन आख्या प्रस्तुत नहीं की गयी। बार-बार समय देने के बावजूद उत्तर न दिये जाने के कारण प्रोमोटर को प्राधिकरण की अपनी 161वीं बैठक में व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर प्रदान किया गया। प्रोमोटर द्वारा प्राधिकरण की उक्त बैठक में उपस्थित होकर उत्तर प्रस्तुत करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की गयी, जिस पर प्रोमोटर को उत्तर प्रस्तुत करने के लिए 15 दिन समय प्रदान किया गया।
नोटिस का उत्तर सुनवाई के समय दिया गया
प्राधिकरण की 162वीं में प्रोमोटर द्वारा प्राधिकरण की कारण दर्शाओ नोटिस का उत्तर सुनवाई के समय ही उप-प्रबन्ध निदेशक के हस्ताक्षर से प्रस्तुत किया गया। निर्गत छह नोटिसों के सापेक्ष प्रोमोटर द्वारा अलग-अलग नोटिसों का उत्तर अलग-अलग न देते हुए सभी नोटिसों का एक ही उत्तरालेख प्रस्तुत किया गया। प्रोमोटर एवं उनके विद्वान अधिवक्ता को विस्तृत रूप से सुना गया एवं अभिलेखों का गहनता से परिशीलन किया गया।
छह को 10-10 लाख रुपए बतौर जुर्माना अदा करें
उत्तर प्रदेश उपभोक्ता विवाद एवं प्रतितोष आयोग ने आवासीय योजनाओं के डेवलपर और विक्रेता वन प्लेस इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रा.लि. वाराणसी को सेवा में त्रुटि का दोषी करार देते हुए छह शिकायकर्ताओं को क्रमश: दस-दस लाख रुपए बतौर हर्जाना और तीस-हजार रुपए बतौर मुकदमा खर्च अदा करने का आदेश दिया है। यही नहीं इन शिकायकर्ताओं को एश्योर्ड रिटर्न की लैप्स राशि भी दस फीसदी ब्याज के साथ अदा करने को कहा गया है। साथ ही इन चारों शिकायकर्ताओं की ओर से विपक्षी कम्पनी की आवासीय योजनाओं में निवेश की गयी राशि को दस प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस करने का भी आदेश दिया है। विपक्षी कम्पनी अगर यह राशि साठ दिन के भीतर अदा नहीं करेगी तो इस पूरी रकम पर 15 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज लागू माना जाएगा। आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने यह निर्णय सुनाया है।