New Delhi news : थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी भारत-फ्रांस रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के मकसद से रविवार को फ्रांस की यात्रा पर रवाना हो गए हैं। चार दिवसीय दौरे पर जनरल द्विवेदी फ्रांस के वरिष्ठ सैन्य नेतृत्व के साथ कई बैठकें करेंगे, जिनका उद्देश्य दोनों देशों के बीच मजबूत सैन्य संबंधों को बढ़ावा देना होगा। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की फ्रांस यात्रा के बाद सेनाध्यक्ष की यह यात्रा इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि राष्ट्रपति मैक्रों के साथ मुलाकात में उन्होंने द्विपक्षीय सहयोग और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी के लिए फ्रांस के साझा दृष्टिकोण को सराहा था।
सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी यात्रा के पहले दिन 24 फरवरी को पेरिस के लेस इनवैलिड्स में फ्रांस के वरिष्ठ सैन्य नेतृत्व के साथ बातचीत करेंगे। दिन की शुरुआत गार्ड आफ आनर से होगी, जिसके बाद फ्रांसीसी सेना प्रमुख जनरल पियरे शिलके साथ चर्चा होगी। बैठक का उद्देश्य दोनों देशों के बीच मजबूत सैन्य संबंधों को बढ़ावा देना होगा। यात्रा कार्यक्रम में पेरिस में प्रतिष्ठित सैन्य स्कूल और संस्थान परिसर इकोले मिलिटेयर का दौरा भी शामिल है, जहां सीओएएस को फ्यूचर कॉम्बैट कमांड के बारे में जानकारी दी जाएगी। इसके अतिरिक्त जनरल द्विवेदी को फ्रांसीसी सेना के तकनीकी अनुभाग में जानकारी दी जाएगी और वे वर्सेल्स में बैटल लैब टेरे का दौरा करेंगे।
जनरल द्विवेदी 25 फरवरी कोमार्सिले जाएंगे, जहां वे फ्रांसीसी सेना की तीसरी डिवीजन का दौरा करेंगे और उन्हें तीसरी डिवीजन के मिशन और भूमिका, द्विपक्षीय अभ्यास शक्ति, भारत-फ्रांस प्रशिक्षण सहयोग और फ्रांसीसी सेना आधुनिकीकरण कार्यक्रम (स्कॉर्पियन) के बारे में जानकारी दी जाएगी।
अगले दिन जनरल द्विवेदी कार्पियाग्ने का दौरा करेंगे और लाइव फायरिंग अभ्यास के साथ स्कॉर्पियन डिवीजन के गतिशील प्रदर्शन को देखेंगे। सीओएएस 27 फरवरी कोप्रथम विश्व युद्ध में भाग लेने वाले शहीद भारतीय सैनिकों के सम्मान में पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए न्यूवेचैपल भारतीय युद्ध स्मारक का दौरा करेंगे। बाद में वे फ्रांसीसी संयुक्त स्टाफ कॉलेज इकोले डे गुएरे में एक व्याख्यान देंगे, जिसमें आधुनिक युद्ध की उभरती प्रकृति और भारत की रणनीतिक दृष्टि पर प्रकाश डाला जाएगा। जनरल द्विवेदी की यात्रा का उद्देश्य भारत और फ्रांस के बीच सैन्य सहयोग को मजबूत करना, सहयोग के नए रास्ते तलाशना और दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाना है।