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सौदेबाजी : मुख्यमंत्री की घोषणा में देरी, क्या यहां भी कोई चौंकाने वाला नाम आएगा सामने ?

सौदेबाजी : मुख्यमंत्री की घोषणा में देरी, क्या यहां भी कोई चौंकाने वाला नाम आएगा सामने ?

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महाराष्ट्र में सीएम की दावेदारी छोड़ने पर शिवसेना को शहरी विकास मंत्रालय, लोक निर्माण मंत्रालय और जल संसाधन मंत्रालय देने की तैयारी

New Delhi news :  महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, यह अब भी लोगों के जेहन में एक सवाल है। वैसे माना जा रहा है कि नए सीएम के नाम का किसी भी वक्त ऐलान हो सकता है। बताया जा रहा है कि महायुति गठबंधन की बैठक में भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व ने शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे को मना लिया है और अब एकनाथ शिंदे ने सीएम पद को लेकर अपनी दावेदारी छोड़ दी है। हालांकि जब भाजपा मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा करने में देरी करती है, तो कोई चौंकाने वाला नाम सामने आता है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का उदाहरण हमारे सामने है। तो क्या महाराष्ट्र में भी यही प्रयोग करने की मंशा तो नहीं।

इन सब के बीच सूत्रों के हवाले से अब ये खबर आ रही है कि महाराष्ट्र में सीएम पद की दावेदारी छोड़ने के बदले केंद्र सरकार ने एकनाथ शिंदे की पार्टी को केंद्र में तीन अहम मंत्रालय देने का मन बना लिया है। एकनाथ शिंदे को जो तीन मंत्रालय देने की तैयारी चल रही है, उनमें शहरी विकास मंत्रालय, लोक निर्माण मंत्रालय और जल संसाधन मंत्रालय शामिल हैं।

एकनाथ शिंदे ने बुधवार को ऐलान किया था कि उनके उत्तराधिकारी के नाम पर केंद्र द्वारा जो भी फैसला लिया जाएगा, उन्हें वो स्वीकार होगा। शिंदे ने साफ किया है कि वह भाजपा के नेतृत्व के हर फैसले का समर्थन करेंगे और इस प्रक्रिया में किसी तरह की अड़चन नहीं आएगी। इसके साथ ही भाजपा के लिए महाराष्ट्र में नए मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला कर पाना आसान हो गया है। माना जा रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने इसमें अहम भूमिका निभाई है।

एकनाथ शिंदे ने कहा कि मैंने कल पीएम मोदी और अमित शाह को फोन किया था और उनसे मुख्यमंत्री पद पर फैसला करने को कहा था। मैंने उन्हें आश्वासन दिया है कि वो जो भी फैसला लेंगे, मैं उसका पालन करूंगा। उन्होंने कहा कि हमारी शिवसेना महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री को नामित करने के भाजपा के फैसले का पूरा समर्थन करेगी। हमारी तरफ से कोई अड़ंगा नहीं है।

इससे साफ हो गया है कि देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र का सीएम बनाए जाने से एकनाथ शिंदे को किसी तरह की आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि वह कार्यकर्ता थे और आगे भी रहेंगे। इसके साथ ही उन्होंने साफ कर दिया है कि उनको पद का लालच नहीं है। वो भी एनडीए का हिस्सा हैं। जो भी फैसला लिया जाएगा, उसका वह समर्थन करेंगे, फिर चाहे सीएम भाजपा से बनाया जाए तो भी उन्हें यह फैसला मंजूर होगा।

दरअसल, जब चुनाव परिणाम आने के दिन 23 नवंबर की दोपहर में एक तरफ शिवसेना (शिंदे गुट), बीजेपी और एनसीपी (अजित गुट) के कार्यकर्ता जीत की खुशियां मना रहे थे तो दूसरी तरफ एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार यह गणित बैठाने में जुटे थे कि सीएम कैसे बना जाए। तकरीबन 96 घंटे की जद्दोजहद के बाद अचानक अब फडणवीस रेस में सबसे आगे दिखाई देने लगे हैं जबकि शुरुआत में लीड लेने वाले शिंदे रेस से ही बाहर हो गए।

देंवेंद्र फडणवीस 2019 और 2022 में सीएम बनने से चूक गए थे। इसका उनको फायदा मिलता दिख रहा है। एकनाथ शिंदे अपने विधायकों को समझा चुके हैं। उनको अपने-अपने क्षेत्र में काम करने को कहा है। एकनाथ शिंदे खुद को महायुति का कार्यकर्ता करार दे चुके हैं। एनसीपी रेस से पहले ही पीछे हट चुकी है। इस चुनाव में 132 सीटों पर अकेले बीजेपी को जीत मिली है, यह बहुमत से मात्र 13 सीट कम है। एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 57 सीट जबकि अजित पवार की एनसीपी को 41 सीट मिली हैं। एकनाथ शिंदे पहले मराठा फेस को लेकर दबाव बनाते नजर आए, लेकिन बीजेपी को इस चुनाव में हर वर्ग का वोट मिला। इससे पार्टी ने सारे नैरेटिव तोड़ दिए।

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