हम नफरत की पराकाष्ठा तक पहुंच जाएं, यह ठीक नहीं
New Delhi news : संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि राम मंदिर तो हिंदुओं के लिए एक आस्था का विषय था। हिंदुओं का विश्वास था कि राम मंदिर बनना ही चाहिए, लेकिन ऐसा हो जाने से कोई हिंदू नेता नहीं बन जाता।
दरअसल, संघ प्रमुख मोहन भागवत एक बार फिर अपने बयान की वजह से चर्चा में आ गए हैं। एक कार्यक्रम में उन्होंने दो टूक कहा है कि अगर किसी ने राम मंदिर का निर्माण भी करवा दिया है, उससे वह हिंदू नेता नहीं बन जाता।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि राम मंदिर तो हिंदुओं के लिए एक आस्था का विषय था। हिंदुओं का विश्वास था कि राम मंदिर बनना ही चाहिए, लेकिन ऐसा हो जाने से कोई हिंदू नेता नहीं बन जाता। हम बात करते हैं विश्वगुरु बनने की, महाशक्ति बनने की नहीं। ऐसा इसलिए, क्योंकि हमे पता है कि महाशक्ति बनने के बाद कोई कैसा व्यवहार करने लग जाता है। महाशक्ति की आड़ में अपने निजी स्वार्थ साधने की कोशिश करना हमारा रास्ता नहीं हो सकता।
मोहन भागवत ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि जैसा भी इतिहास रहा हो, इसका मतलब यह नहीं है कि हम नफरत की पराकाष्ठा तक पहुंच जाएं। हर चीज को शक से देखें और लगातार ऐसे मुद्दे उठाते रहें। समाधान क्या है, बस यही कि हम दुनिया को दिखा सकें कि हम एक हैं, हम एकजुट रह सकते हैं।
संघ प्रमुख ने कहा कि बाहर से आए कुछ समूह अपने साथ कट्टरता लेकर आए और वे चाहते हैं कि उनका पुराना शासन वापस आ जाए, लेकिन अब देश संविधान के अनुसार चलता है। इस व्यवस्था में लोग अपने प्रतिनिधि चुनते हैं, जो सरकार चलाते हैं। आधिपत्य के दिन चले गए।
अब ऐसा बयान संघ प्रमुख मोहन भागवत की तरफ से तब आया है, जब कई राज्यों में मंदिर-मस्जिद को लेकर विवाद चल पड़ा है। संभल में अगर मस्जिद के सर्वे की वजह से तनाव है, तो किसी दूसरी जगह पर भी मूर्ति मिलने का दावा हुआ है। अब उसी होड़ के बीच में भागवत ने यह बड़ा बयान दिया है जिसके मायने निकाले जा रहे हैं।