Mumbai news : महाराष्ट्र के पालघर में मंगलवार को उस समय बवाल मच गया, जब बहुजन विकास अघाड़ी (बीवीए) के कार्यकर्ताओं ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े पर वोटरों को पैसे बांटने का आरोप लगाया। यह घटना नालासोपारा विधानसभा क्षेत्र के एक होटल के बाहर हुई। जहां तावड़े एक बैठक कर रहे थे। बीवीए विधायक क्षितिज ठाकुर के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने होटल के बाहर जमकर हंगामा किया और भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए। वहीं तावड़े ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और खुद को हमेशा से पारदर्शिता के पक्ष में बताया।
अप्पा ठाकुर और क्षितिज ने गलत समझा
भाजपा नेता तावड़े ने कहा कि नालासोपारा के विधायकों की एक बैठक चल रही थी। इसमें आदर्श आचार संहिता, वोटिंग मशीनों को सील करने और आपत्तियों से निपटने पर चर्चा हो रही थी। अप्पा ठाकुर और क्षितिज ने गलत समझा और उन्हें लगा कि हम पैसे बांट रहे हैं। उन्होंने निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए कहा कि चुनाव आयोग और पुलिस जांच करे और उन्हें सीसीटीवी फुटेज मिले। मैं 40 साल से पार्टी में हूं। अप्पा ठाकुर और क्षितिज मुझे जानते हैं। पूरी पार्टी मुझे जानती है।
चुनाव आयोग को पूरी जांच करनी चाहिए
मेरा मानना है कि चुनाव आयोग को पूरी जांच करनी चाहिए।
वहीं क्षितिज ठाकुर ने पत्रकारों से बात करते हुए आरोप लगाया कि तावड़े मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए 5 करोड़ रुपये लेकर विरार आये थे। ठाकुर ने दावा किया कि बीजेपी के कुछ नेताओं ने मुझे बताया कि भाजपा महासचिव तावड़े मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए 5 करोड़ रुपये बांटने के लिए विरार आ रहे हैं। मुझे लगा था कि उनके जैसा राष्ट्रीय नेता इतना छोटा काम नहीं करेगा, लेकिन मैंने उन्हें यहां देखा। मैं चुनाव आयोग से उनके और भाजपा के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह करता हूं। होटल की सीसीटीवी रिकॉर्डिंग शुरू में बंद कर दी गई थी। इससे मिलीभगत का पता चलता है।
संजय राउत ने भी बीजेपी पर निशाना साधा
शिवसेना संसद संजय राउत)ने भी इस मामले में बीजेपी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि बीजेपी की पोल खुल गई है। ठाकुर ने वही किया जो चुनाव आयोग को करना चाहिए था। दूसरी ओर भाजपा नेता और एमएलसी प्रवीण दरेकर ने इन आरोपों को प्रचार का हथकंडा बताते हुए खारिज कर दिया। यह चुनाव 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा का फैसला करेगा। इसमें बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन और कांग्रेस के नेतृत्व वाले महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के बीच कड़ा मुकाबला है। यह चुनाव बदलते गठबंधनों, जातीय समीकरणों और भावनात्मक अपीलों के कारण राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा।