Health and Lifestyle : पूजा-अर्चना के लिए उपयोग की जानेवाली अगरबत्ती आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। एक अध्ययन में पाया गया है कि अगरबत्ती के धुएं से फेफड़ों को हानि पहुंच सकती है ; इसलिए अगरबत्तियों से दूरी बनाने में ही समझदारी है। अगरबत्तियों को जलाने से प्रदूषणकारी गैसों का उत्सर्जन होता है, जिसमें कार्बन मोनोआक्साइड शामिल है। प्रदूषण कारी गैसों के कारण फेफड़ों की कोशिकाओं में सूजन आ सकती है। धूप बहुत अच्छी होती है, इसलिए ऋषि मुनि भी इससे हवन यज्ञ आदि करते रहे हैं, धूप जलाने से ऊर्जा का सृजन होता है, स्थान पवित्र हो जाता है व मन को शान्ति मिलती है। इनसे नकारात्मक ऊर्जाओं वाली वायु शुद्ध हो जाती है। इसलिए, प्रतिदिन धूप जलाना अति उत्तम और बहुत ही शुभ है। आइये, जानते हैं अगरबत्ती का धुआं किस तरह से आपके और आपके परिवारवालों के लिए जान का खतरा बन सकता है।
श्वसन से सम्बन्धित बीमारियां जैसे कफ और अस्थमा हो सकती है
परिणामों से सिद्ध हुआ है कि घर के अन्दर अगरबत्ती जलाने से वायु प्रदूषण होता है ; विशेष रूप से कार्बन मोनोऑक्साइड, जिसके कारण फेफड़ों की कोशिकाओं में सूजन आ सकती है और श्वसन से सम्बन्धित समस्याएं हो सकती हैं। जब श्वास के साथ आवश्यकता से अधिक मात्रा में धुआं शरीर के अन्दर चला जाता है, तो अधिकांश लोगों को अतिसंवेदनशीलता के कारण कफ और छींकने की समस्या हो जाती है। इन अगरबत्तियों में सल्फर डाईआक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन और फामल्डेहाइड (कण तथा गैस के रूप में) होते हैं, जिनके कारण नियमित रूप से इसके सम्पर्क में रहने पर श्वसन से सम्बन्धित बीमारियां जैसे कफ और अस्थमा हो सकती है। इस समय श्वसन के माध्यम से जो धुआं फेफड़ों में जाता है, वह धूम्रपान के समय फेफड़ों में जानेवाले धुएं के समान होता है।
आंखों में भी होती है जलन
यह एक सत्य बात है कि लम्बे समय तक अगरबत्तियों का उपयोग करने से आंखों में विशेष रूप से बच्चों तथा वृद्ध व्यक्तियों की आंखों में जलन होती है। इसके अलावा संवेदनशील त्वचा वाले लोग भी जब नियमित तौर पर अगरबत्ती के जलने से निकलनेवाले धुएं के सम्पर्क में आते हैं, तो उन्हें भी त्वचा पर खुजली महसूस होती है।
यह तंत्रिका से सम्बन्धित लक्षण सक्रिय करती है। नियमित तौर पर अगरबत्ती का उपयोग करने से जो समस्याएं आती हैं, उनमें सिरदर्द, ध्यान केन्द्रित करने में समस्या होना और विस्मृति आदि शामिल हैं। रक्त में जानलेवा गैसों की मात्रा बढ़ने से मस्तिष्क की कोशिकाओं को प्रभावित करती हैं, जिसके कारण तंत्रिका से सम्बन्धित समस्याएं हो सकती हैं।
क्या आपने कभी सोचा है कि अगरबत्ती का उपयोग करने से श्वसन मार्ग का कैंसर हो सकता है? लम्बे समय तक अगरबत्ती का उपयोग करने से ऊपरी श्वास नलिका का कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। यह भी साबित हुआ है कि अगरबत्ती का उपयोग करने साथ साथ, धूम्रपान करनेवालों में भी ऊपरी श्वास नलिका के कैंसर की सम्भावना सामान्य लोगों की तुलना में अधिक होती है।
अध्ययनों से पता चला है कि जब अगरबत्ती को जलाया जाता है, तो विषाक्त धुआं निकलता है, जिसमें लेड (सीसा), आयरन और मैग्नीशियम होता है। इसके कारण शरीर में विषाक्त पदार्थों की मात्रा बढ़ती है। अगरबत्ती लगाने से जो धुआं निकलता है, उसके कारण रक्त में अशुद्धियों की मात्रा बढ़ जाती है।