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14 जनवरी को मनाइए मकर संक्रांति, मगर शुभ मुहूर्त भी जान लीजिए, गंगा स्तुति करना ना भूलें

14 जनवरी को मनाइए मकर संक्रांति, मगर शुभ मुहूर्त भी जान लीजिए, गंगा स्तुति करना ना भूलें

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Makar Sankranti, Shubh muhurt, Ganga Stuti : ज्योतिषीय गणना के अनुसार, कल मंगलवार, 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति का पर्व मनाइए। पहले जानते हैं मकर संक्रांति के दिन ग्रहों की स्थिति। फिर चर्चा करते है शुभ मुहूर्त। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस दिन स्नान, ध्यान और चूड़ा, दही और तिलकुट खाने के पहले दान-पुण्य का भी बड़ा महत्व होता है। इस पर भी हम चर्चा करेंगे। मकर संक्रांति के दिन गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करना काफी पुण्यकारी माना जाता है। इस दिन स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है।मकर संक्रांति के दिन जरुरतमंद लोगों को गुड़, तिल, खिचड़ी और गर्म कपड़े आदि का दान करते है।

खत्म हो जाएगा खरमास

हम जानते हैं कि 14 जनवरी को सूर्य देव धनु राशि से निकालकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करते ही खरमास समाप्त हो जाता है और मंगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। मकर संक्रांति नए साल का पहला त्योहार होता है। इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है, जिसका अर्थ है सूर्य उत्तर दिशा की तरफ बढ़ता है।

न भूलें यह शुभ मुहूर्त

मकर संक्रांति पुण्य काल- सुबह 07 बजकर 33 मिनट से शाम 06 बजकर 56 मिनट तक। मकर संक्रांति महा पुण्य काल- सुबह 07 बजकर 33 मिनट से सुबह 09 बजकर 45 मिनट तक। मकर संक्रांति का क्षण- सुबह 07 बजकर 33 मिनट।

शनि देव के लिए शुभ प्रकाश

मकर संक्रांति के पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहा जाता है।  इस दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्य देव की उपासना करने का विशेष महत्व माना जाता है। जो लोग इस दिन दान करते हैं, उनके लिए यह दिन अक्षय फलदायी होता है। इस दिन शनि देव के लिए प्रकाश करना भी शुभ होता है।

जरूर करें गंगा स्तुति

मान्यता है कि मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त में गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। गंगा मैया की कृपा पाने के लिए  गंगा स्तुति का पाठ करना एक बेहतर उपाय माना गया है।

गांगं वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतम्

त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु माम् ॥ मां गंगा स्तोत्रम्॥ देवि सुरेश्वरि भगवति गङ्गे।त्रिभुवनतारिणि तरलतरङ्गे। शङ्करमौलिविहारिणि विमले। मम मतिरास्तां तव पदकमले।

भागीरथि सुखदायिनि मातस्तव

जलमहिमा निगमे ख्यातः।

नाहं जाने तव महिमानं

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