▪︎ समाचार पत्रों के समक्ष अस्तित्व के संकट को लेकर नयी दिल्ली में होगा राष्ट्रीय सम्मेलन
Ranchi News: पूरे देश में समाचार पत्रों के समक्ष गहराते संकट और मौजूदा समस्याओं को दूर करने के लिए नवगठित अखिल भारतीय समाचार पत्र प्रकाशक – सम्पादक संघ की बुधवार को यहां रांची प्रेस क्लब में हुई एक महत्त्वपूर्ण बैठक में अखबारी कागज (न्यूज प्रिंट) को पूरी तरह जीएसटी से मुक्त करने की मांग की गयी। इस मांग को लेकर संघ आगामी फरवरी माह में नयी दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर सम्मेलन आयोजित करेगा और केन्द्र सरकार से इस समस्या का हल निकालने का आग्रह करेगा।बैठक में उपस्थित बिहार, झारखंड, नयी दिल्ली समेत विभिन्न राज्यों के चार दर्जन से अधिक समाचार पत्रों के प्रकाशकों – सम्पादकों ने कहा कि आज देश के समाचार पत्र कई कठिनाइयों के दौर से गुजर रहे हैं और इन्हें दूर करने के लिए संघ निरन्तर प्रयास करेगा। बैठक में लिये गये निर्णय के अनुसार समाचार पत्र प्रकाशक – सम्पादक संघ की ओर से समाचार पत्रों ; खासकर अखबारी कागज (न्यूज प्रिंट) को जीएसटी से मुक्त करने और प्रिंट मीडिया के विज्ञापनों पर लगनेवाले जीएसटी को पूरी तरह समाप्त करने के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जायेगा।
“सरकार आयोग का गठन करे“
संघ की बैठक में इस मुद्दे पर सर्वसम्मति बनी कि यदि अखबारी कागज (न्यूज प्रिंट) पर जीएसटी को तत्काल वापस नहीं लिया जाता है, तब तक प्रसार जांच की नयी पॉलिसी को स्थगित रखने के साथ-साथ सरकार इसकी समीक्षा के लिए एक आयोग का गठन करे और आयोग समाचार पत्रों के समक्ष सरकार के स्तर पर उत्पन्न कठिनाइयों को दूर करने के सम्बन्ध में गहन अध्ययन कर एक प्रतिवेदन केन्द्र सरकार को समर्पित करें।
“आज हिन्दी समेत सभी भाषाई अखबारों के समक्ष अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो गया है“
बैठक में प्रकाशकों ने एक स्वर से कहा कि आज हिन्दी समेत सभी भाषाई अखबारों के समक्ष अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो गया है और इससे लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर सीधा खतरा दिख रहा है। उन्होंने कहा कि यदि देश में बड़े पैमाने पर समाचार पत्रों के समक्ष बंदी की स्थिति उत्पन्न हुई, तो प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से समाचार पत्रों से जुड़े एक करोड़ परिवार ; यानी करीब 05 करोड़ लोग प्रभावित तथा बेरोजगार हो जायेंगे। बेरोजगार होनेवाले में प्रखंड, अनुमंडल, जिला तथा राज्य स्तर पर कार्यरत पत्रकारों के अलावा अखबार के वितरण कार्य में लगे हॉकर तथा एजेंट भी शामिल होंगे। इससे देश की अर्थव्यवस्था पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ेगा और पूरे देश के समक्ष बेरोजगारी को लेकर अलग तरह का बड़ा संकट उत्पन्न हो जायेगा। इसके साथ 06 वर्षों से विज्ञापन दर को संशोधित करने के मामले को लम्बित रखे जाने के समाधान किये जाने पर जोर दिया गया। संघ की ओर से कहा गया है कि अखबारी कागज, स्याही, मुद्रण में प्रयुक्त होनेवाली अन्य सामग्रियों पर जीएसटी लागू किये जाने से अखबार प्रकाशन की लागत में काफी वृद्धि हुई है, जबकि दूसरी ओर डीएवीपी का विज्ञापन दर पिछले 06 वर्षों से संशोधित नहीं किया गया है। गौरतलब है कि डीएवीपी (अब केन्द्रीय संचार ब्यूरो) की ओर से प्रत्येक 03 वर्ष पर विज्ञापन दर संशोधित करने की परम्परा रही है।
10 फरवरी को नयी दिल्ली में समाचार पत्र प्रकाशकों – सम्पादकों का एक सम्मेलन आयोजित होगा
बैठक में सर्वसम्मति से आगामी 10 फरवरी को नयी दिल्ली के प्रेस क्लब आॅफ इंडिया या कांस्टीट्यूशन क्लब में समाचार पत्र प्रकाशकों – सम्पादकों का एक सम्मेलन आयोजित किया जायेगा, जिसमें समाचार पत्र उद्योग की समस्याओं पर विस्तार से चर्चा होगी और इस सिलसिले में समस्याओं के समाधान के लिए संघ का शिष्टमंडल प्रधानमंत्री, केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव, सूचना एवं प्रसारण सचिव, केन्द्रीय संचार ब्यूरो और प्रेस इनफॉरमेशन ब्यूरो के महानिदेशक तथा भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक से मिल कर समाचार पत्र उद्योग के समक्ष उत्पन्न समस्याओं के समाधान के लिए विचार-विमर्श और आग्रह करेगा। बैठक में सभी प्रकाशकों और संपादकों की आशंका थी कि यदि समाचार पत्र उद्योग पर गहराते संकट को दूर करने के लिए अपेक्षित कदम नहीं उठाये गये, तो लोकतंत्र के चौथा स्तंभ का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा।
बैठक में कमल किशोर, जसीम रिजवी, शारिब खान, रजत गुप्ता, अशोक कुमार, प्रेम शंकर, विनय कुमार, श्रीराम अम्बष्ट, विनय वर्मा, राहुल सिंह, रोहित दत, देवन राय, संजय पोद्दार, नित्यानंद शुक्ला, सम्पूर्णानन्द भारती, सौरभ सिंह, मो. रहमतुल्लाह, संतोष पाठक, अनश रहनुमा समेत बड़ी संख्या में प्रकाशक – सम्पादक उपस्थित थे।