▪︎अदालत ने कहा, अंतिम सांस तक जेल में रहेगा मुजरिम
Kolkata News: पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला डाक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में सियालदह कोर्ट ने सोमवार को अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने आरोपित सिविक वॉलंटियर संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। जज अनिर्बाण दास ने आदेश दिया कि संजय को अपनी बाकी की जिन्दगी जेल में ही बितानी होगी।
सीबीआई के वकील ने इस मामले को ‘रेयर ऑफ द रेयरेस्ट’ करार देते हुए फांसी की सजा की मांग की थी। उन्होंने तर्क दिया कि पीड़ित एक डॉक्टर थीं, जो ड्यूटी पर थीं। यह न केवल परिवार की, बल्कि पूरे समाज की क्षति है। वहीं, संजय के वकीलों ने फांसी विरोध करते हुए दलील दी कि कानून के तहत दोषी को सुधारने का मौका दिया जाना चाहिए। जज ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि दोषी को उम्रकैद की सजा दी है। इसके तहत दोषी को आपको अपनी आखिरी सांस तक जेल में रहना होगा।
आज सियालदह कोर्ट के 210 नम्बर कोर्टरूम में सुरक्षा के कड़े इंतजामों के बीच सुनवाई हुई। जज अनिर्बाण दास ने दोपहर 2:45 बजे अपना अंतिम फैसला सुनाया। इससे पहले संजय ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि उसे फंसाया जा रहा है।
सजा के एलान से पहले पीड़ित के माता-पिता कोर्ट पहुंचे। उन्होंने कहा कि यह उनकी कानूनी लड़ाई का पहला कदम है। उनका मानना है कि संजय अकेला दोषी नहीं है। इस मामले में किसी प्रभावशाली व्यक्ति को बचाने की कोशिश की जा रही है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है। ममता ने कहा कि उन्होंने भी इस जघन्य अपराध के खिलाफ प्रदर्शन में भाग लिया था और दोषी को सख्त सजा मिलने की मांग की थी।
उल्लेखनीय है कि गत नौ अगस्त 2024 को आरजी कर मेडिकल कालेज और अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात एक महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की गयी थी। इस घटना के विरोध में राज्य और देश भर व्यापक आंदोलन हुए थे। मामले में दोषी संजय रॉय, जो अस्पताल में सिविक वॉलंटियर के तौर पर कार्यरत था। उसे गिरफ्तार किया गया था। पहले इस मामले की छानबीन राज्य पुलिस कर रही थी। बाद में उसे सीबीआई के हवाले कर दिया गया था।
दोषी को मौत की सजा नहीं मिलने से पीड़ित परिवार नाखुश
आरजी कर मामले में दोषी संजय रॉय को अदालत ने आजावीन कारावास की सजा सुनायी है। इस फैसले से पीड़िता के माता-पिता नाखुश हैं। वह दोषी को मौत की सजा चाहते हैं। साथ ही, उन्होंने केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की कार्यशैली पर नाराजगी जताते हुए सवाल उठाये।
पीड़िता की मां ने कहा, ‘मेरी बेटी को अस्पताल में ड्यूटी के दौरान दुष्कर्म कर मार डाला गया। क्या यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर घटना नहीं है? सीबीआई इसे साबित करने में विफल रही। यही कारण है कि दोषी को फांसी की सजा नहीं मिली। पीड़िता के पिता ने अदालत के फैसले को न्याय की ओर पहला कदम बताया। उन्होंने कहा कि हमें अभी पूरा न्याय नहीं मिल पाया। यह सीबीआई की असफलता है कि वह मामले को सही तरीके से प्रस्तुत नहीं कर पायी।
आरजी कर केस में कोर्ट ने दोषी संजय रॉय पर 50 हजार का जुर्माना लगाते हुए उम्रकैद की सजा सुनायी है। इसके साथ ही पीड़ित परिवार को 17 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। हालांकि, पीड़िता के पिता ने मुआवजा लेने से इनकार करते हुए कहा कि हम अपनी बेटी को इस तरह बेच नहीं सकते। असली अपराधियों को सजा मिलने से ही हमारी बेटी की आत्मा को शांति मिलेगी।
पहले भी उठाये थे सीबीआई पर सवाल
पीड़िता के माता-पिता ने पहले भी सीबीआई की जांच पर सवाल उठाये थे। उनका मानना है कि संजय अकेले यह अपराध नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रधानाचार्य संदीप घोष और टाला थाना के पूर्व ओसी अभिजीत मंडल को गिरफ्तार करने के बावजूद सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल नहीं की। परिवार ने अदालत से अपील की है कि मामले की और गहराई से जांच होनी चाहिए।
कोर्ट के फैसले पर ममता ने जताया असंतोष, बोलीं…फांसी होती, तो मन को सुकून मिलता
आरजी कर मामले में दोषी संजय रॉय को उम्र कैद की सजा सुनायी जाने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने असंतोष जाहिर किया है। उन्होंने कहा कि वह कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने दावा किया कि यदि यह मामला उनके पास होता, तो दोषी को फांसी की सजा दिलवा देती।
मालदा जिले के दौरे पर पहुंचीं ममता बनर्जी ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘मैं अदालत के फैसले से संतुष्ट नहीं हूं। यदि यह मामला हमारे पास होता, तो हम बहुत पहले ही फांसी की सजा दिलवा देते। मैं नहीं जानती कि सीबीआई ने इस मामले को कैसे लड़ा और क्या तर्क दिये, लेकिन मुझे संतोष नहीं मिला। फांसी होती, तो मन को सुकून मिलता।’
ममता ने यह भी कहा कि आरजी कर मामला बेहद गम्भीर है। उन्होंने अपनी बात रखते हुए जयनगर, फरक्का और गुड़ाप के दुष्कर्म-हत्या मामलों का जिक्र किया, जहां पुलिस ने जांच पूरी कर दोषियों को फांसी की सजा दिलवायी थी।
ममता बनर्जी ने सीबीआई की कार्यशैली पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि हम चाहते थे कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले, लेकिन यह मामला हमारे हाथ से लेकर सीबीआई को सौंप दिया गया। उन्होंने कहा कि सीबीआई पर उन्हें भरोसा था, लेकिन वे उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी।
मुख्यमंत्री ममता ने राज्य पुलिस की तारीफ करते हुए कहा कि जयनगर, फरक्का और गुड़ाप मामलों में पुलिस ने प्रभावी जांच कर दोषियों को सजा दिलायी। इन मामलों में फांसी की सजा सुनिश्चित कर मिसाल पेश की गयी।