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पूजा-अर्चना के साथ अयोध्या में राम मंदिर के शिखर का निर्माण शुरू

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चार महीने में होगा तैयार, सबसे ऊपर होगी धर्म ध्वजा, सप्त ऋषियों के मंदिर के काम में तेजी

Ayodhya news :  अयोध्या में राम मंदिर के शिखर का निर्माण गुरुवार से शुरू हो गया। यह 120 दिन में बनकर तैयार हो जाएगा। इसके बाद मंदिर की कुल ऊंचाई 161 फीट हो जाएगी। शिखर में सबसे ऊपर धर्म ध्वजा होगी, जिसकी ऊंचाई 44 फीट होगी। इस काम में पंद्रह सौ मजदूर लगाए गए हैं। शिखर निर्माण का काम शुरू करने से पहले स्थल पर पूजा-अर्चना की गई। शिखर पर लगने वाले मुख्य पत्थर की पूजा की गई। राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि कंस्ट्रक्शन अपनी रफ्तार से चल रहा है। जो डेडलाइन तय की है, उसमें काम पूरा होगा। 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से अब तक 2.06 करोड़ भक्त दर्शन कर चुके हैं।

नागर शैली का होगा शिखर

राम मंदिर का गुंबद नागर शैली का होगा। शिखर का डिजाइन सोमपुरा आर्किटेक्ट्स ने तैयार किया है। डिजाइन को ट्रस्ट ने पहले ही फाइनल कर दिया था। पूरे मंदिर की ऊंचाई 161 फीट है। शिखर पर धर्म ध्वजा भी होगी। मंदिर में शिखर बनाना सबसे मुश्किल माना जाता है। इसीलिए इसका निर्माण शुरू होते समय सभी एजेंसियों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। राम मंदिर के निर्माण की विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए शिखर का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए इसकी मजबूती और खूबसूरती दोनों का ध्यान रखा जाएगा।

सात ऋषि-मुनियों के मंदिर भी चार महीने में बनेंगे

नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि मैंने राम मंदिर परिसर में बन रहे सप्त मंदिर को देखा। ये मंदिर सात ऋषि- मुनियों वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र, भारद्वाज के नाम पर हैं। यहां पर सभी की मूर्तियां लगेंगी। इसका निर्माण तेजी से किया जा रहा है। इसके अलावा मंदिर में भगवान राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न समेत 24 देवताओं की मूर्तियों का निर्माण भी पूरा हो गया है। इन्हें जल्द स्थापित किया जाएगा। उन्होंने बताया, राम मंदिर के निर्माण में तेजी लाने के लिए तीन दिन की समीक्षा बैठक हो रही है।

15 सौ मजदूर शिखर बनाने में लगे

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुताबिक, दिसंबर-2024 तक मंदिर के सभी काम पूरे करने का लक्ष्य है। मंदिर बना रही कंपनी एल एंड टी ने योजना तैयार की है। इसके तहत बड़ी संख्या में वर्करों को लगाकर दिन-रात काम कराया जाएगा। शिखर बनाने में इस समय करीब 1500 वर्कर लगे हैं। ये राजस्थान, गुजरात, बिहार और उत्तर प्रदेश के हैं।

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