New Delhi News: वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितम्बर) में भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ गयी है। नेशनल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (एनएसओ) द्वारा जारी डेटा के अनुसार, इस अवधि में जीडीपी ग्रोथ 5.4 फीसदी रही है, जो पिछले 18 महीनों में सबसे निचले स्तर पर है। यह आंकड़ा रॉयटर्स पोल के 6.5 फीसदी के अनुमान और पिछली तिमाही के 6.7 फीसदी की तुलना में काफी कम है।
जीडीपी आंकड़े बताते हैं कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार पर हल्का ब्रेक लग रहा है। इसे सरकार के लिए करारा झटका बताया जा रहा है। विभिन्न सेक्टेर्स के प्रदर्शन की बात करें, तो मिला-जुला ग्रोथ नजर आया है। मुख्य क्षेत्रों के प्रदर्शन की बात करें, तो स्थिति इस प्रकार है…
एग्रीकल्चर सेक्टर : ग्रोथ 3.5 फीसदी रही, जो पिछली तिमाही के 2 फीसदी से बेहतर है।
माइनिंग सेक्टर : -0.1फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी, जो पहली तिमाही के 7.2 फीसदी और पिछले साल की समान अवधि के 11.1फीसदी से काफी कम है।
मैन्युफैक्चरिंग : इस तिमाही में सिर्फ 2.2 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 14.3 फीसदी थी।
इलेक्ट्रिसिटी : 3.3 फीसदी की वृद्धि, जो पिछले साल की 10.5 फीसदी की तुलना में काफी कम है।
कंस्ट्रक्शन : 7.7 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गयी, जो पिछली तिमाही के 10.5 फीसदी से कम है।
सकारात्मक संकेत
ट्रेड, होटल्स और ट्रांसपोर्ट : 6 फीसदी ग्रोथ रही, जो पिछले साल की 4.5 फीसदी और पिछली तिमाही की 5.7 फीसदी से बेहतर है।
सार्वजनिक प्रशासन और अन्य सेवाएं : 9.2 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी, जो पिछले साल की 7.7 फीसदी से अधिक है।
वित्तीय और रियल एस्टेट सेवाएं : 6.7 फीसदी की ग्रोथ रही, जो पिछले साल के 6.2 फीसदी से बेहतर है।
जीडीपी में गिरावट के कारण
विश्लेषकों का मानना है कि प्रमुख क्षेत्रों जैसे मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग में चुनौतियों के कारण जीडीपी वृद्धि धीमी रही। हालांकि, कृषि और सार्वजनिक व्यय ने कुछ हद तक समर्थन दिया, लेकिन निजी खपत और औद्योगिक उत्पादन में कमजोरी स्पष्ट है। विश्लेषकों का सुझाव है कि सरकार को निजी खपत बढ़ाने और औद्योगिक उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए त्वरित कदम उठाने होंगे। इकोनॉमी के सुस्त पड़ने से सुधार की स्थिरता को लेकर चिन्ता बढ़ रही है।
जीडीपी का अर्थ और महत्त्व
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) किसी देश की आर्थिक स्थिति का प्रमुख मापक होता है। यह एक निश्चित निर्धारित अवधि में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को दर्शाता है। जीडीपी की गणना तिमाही और वार्षिक आधार पर की जाती है।