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देश की प्रगति के लिए गांवों का विकास जरूरी : शिवराज सिंह

देश की प्रगति के लिए गांवों का विकास जरूरी : शिवराज सिंह

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New Delhi News: केन्द्रीय ग्रामीण विकास एवं कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को अफ्रीकी-एशियाई ग्रामीण विकास संगठन (एएआरडीओ) की कार्यकारी समिति के 77वें सत्र के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत विश्व बंधुत्व में विश्वास करनेवाला देश है। हम सभी प्राणियों में सद्भाव एवं विश्व कल्याण की भावना रखते हैं। भारत वसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास करता है। यह हमें अपने घरों व अपने समुदाय, अपने देशों, अपने ब्रह्मांड से दूर जाने और पूरे ब्रह्मांड को एक परिवार के रूप में मानने के लिए कहता है। हमारे ऋषियों ने भी कहा है कि केवल हम ही नहीं, बल्कि सब सुखी, निरोग व सबका मंगल हो और सबका कल्याण हो, इसी भाव को मोदी सरकार अपनी धरती पर उतारने की कोशिश कर रही है।
ललित होटल में आयोजित सत्र में चौहान ने कहा कि दुनिया का बहुत बड़ा हिस्सा अभी भी गांवों में बसता है। भारत में भी बहुत बड़ा हिस्सा गांवों में ही बसता है। जब तक गांवों की प्रगति नहीं होगी, तब तक किसी भी देश की प्रगति नहीं हो सकती। कार्यकारी समिति की बैठक का 77वां सत्र निश्चित रूप से आगामी मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के लिए आधार बनेगा, जब एएआरडीओ अपने विविध कार्यक्रमों का विश्लेषण करेगा। एक और महत्त्वाकांक्षी त्रिवर्षीय अवधि 2025-2027 पर विचार करेगा, जिसमें एएआरडीओ के कार्यनीतिक ढांचे का व्यापक मध्यावधि मूल्यांकन और समीक्षा शामिल होगी।

लखपति दीदी पहल ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त करेगा
चौहान ने बताया कि लखपति दीदी पहल ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बना कर उनके उत्थान के लिए हमारी सरकार के प्रयासों की आधारशिला है। इस पहल के तहत हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि स्वयं सहायता समूहों की दीदियां स्थायी आजीविका के माध्यम से प्रति वर्ष कम से कम एक लाख रुपये कमायें। हमारी सरकार ने 03 करोड़ लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा है, जिसमें से अब तक 1.15 करोड़ लखपति दीदी बन चुकी हैं। हमारी लखपति दीदियां, सिर्फ आय ही नहीं कमा रही हैं, वे अपने परिवारों और समुदायों की प्रगति में प्रभावी भूमिका भी निभा रही हैं। वे दूसरों के लिए आत्मनिर्भरता का मार्ग दिखानेवाली आदर्श बन गयी हैं। विभिन्न जिलों में हजारों महिलाएं अब आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं तथा कृषि, डेयरी फार्मिंग, उद्यमशीलता तथा अन्य सम्बद्ध गतिविधियों से नियमित आय अर्जित कर रही हैं।

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