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दिवाली का तोहफा : किसानों की बल्ले-बल्ले : गेहूं, सरसों समेत कई उत्पादों का समर्थन मूल्य बढ़ा

दिवाली का तोहफा : किसानों की बल्ले-बल्ले : गेहूं, सरसों समेत कई उत्पादों का समर्थन मूल्य बढ़ा

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गेहूं पर एमएसपी ₹150 बढ़ी, सरसों में ₹300 का इजाफा, चना, मसूर, जौ और कुसुम में भी बढ़ोतरी

New Delhi news : केंद्र सरकार ने बुधवार को रबी की छह फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ा दिया। सबसे ज्यादा इजाफा सरसों में 300 रुपए किया गया। गेहूं में 150 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाया गया। इस तरह गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,425 रुपए क्विंटल हो गया है। जौ, चना, मसूर, कुसुम की एमएसपी में भी बढ़ोतरी की गई है। ये फैसला कैबिनेट की बैठक में लिया गया।

रबी फसल की बुआई लौटते मानसून (अक्टूबर-नवंबर) के समय की जाती है। इन फसलों की कटाई आमतौर पर गर्मी के मौसम में अप्रैल में होती है। ये फसलें बारिश से ज्यादा प्रभावित नहीं होतीं। रबी की प्रमुख फसलें गेहूं, चना, मटर, सरसों और जौ हैं।

एमएसपी का मतलब!

न्यूनतम समर्थन मूल्य वह तय कीमत है, जो किसानों को उनकी फसल पर मिलता है। भले ही बाजार में उस फसल की कीमतें कम हों। इसके पीछे तर्क यह है कि बाजार में फसलों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का किसानों पर असर न पड़े। उन्हें न्यूनतम कीमत मिलती रहे।

सरकार हर फसल सीजन से पहले कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइसेस (सीएसीपी) की सिफारिश पर एमएसपी तय करती है। यदि किसी फसल की बम्पर पैदावार हुई है, तो उसकी बाजार में कीमतें कम होती हैं, तब एमएसपी उनके लिए फिक्स एश्योर्ड प्राइज का काम करती है। यह एक तरह से कीमतें गिरने पर किसानों को बचाने वाली बीमा पॉलिसी की तरह काम करती है।

एमएसपी में शामिल हैं 23 फसलें

सात प्रकार के अनाज (धान, गेहूं, मक्का, बाजरा, ज्वार, रागी और जौ)

पांच प्रकार की दालें (चना, अरहर/तुअर, उड़द, मूंग और मसूर)

सात तरह के तिलहन (सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल, कुसुम, निगरसीड)

चार व्यावसायिक फसलें (कपास, गन्ना, खोपरा, कच्चा जूट)

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